कनाडा में पढ़ाई के इच्छुक भारतीय छात्रों को वहां जाने के बारे में सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए: राजनयिक वर्मा
राजनयिक संजय वर्मा ने कहा कि अगर कनाडा के साथ उनके रिश्ते अच्छे होते तब भी वह अभिभावकों को यही सलाह देते।
Press Trust of India | October 25, 2024 | 05:41 PM IST
नई दिल्ली: भारत के शीर्ष राजनयिक का कहना है कि कनाडा में अध्ययन करने की इच्छा रखने वाले भारतीयों को गंभीरता से सोचना चाहिए, क्योंकि लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद कई छात्र घटिया कॉलेजों में दाखिला ले लेते हैं और उन्हें नौकरी का कोई मौका नहीं मिलता, जिसके परिणामस्वरूप वे अवसादग्रस्त हो जाते हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर होते हैं।
भारत द्वारा कनाडा से वापस बुलाए गए राजनयिक संजय वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरे कार्यकाल के दौरान एक समय ऐसा भी था जब हर सप्ताह कम से कम दो छात्रों के शव ‘बॉडी बैग’ में रखकर भारत भेजे जाते थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘असफल होने के बाद अपने माता-पिता का सामना करने के बजाय, वे आत्महत्या कर लेते।’’
भारत ने अपने रायनयिकों को वापस बुलाया -
खालिस्तानी अलगाववादी मुद्दे पर कनाडा के साथ बढ़ते कूटनीतिक विवाद के बीच वर्मा इस महीने की शुरुआत में भारत लौट आए थे। एक कनाडाई नागरिक की जून 2023 में हुई हत्या के सिलसिले में कनाडा ने हाल में कहा था कि वर्मा को ‘‘जांच के तहत निगरानी की श्रेणी में’’ रखा गया है। इस कनाडाई नागरिक को भारत द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी घोषित किया गया था। कनाडा द्वारा आगे की कार्रवाई करने से पहले, नई दिल्ली ने वर्मा और उन पांच अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया था।
अभिभावक पहले कॉलेजों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी हासिल करें -
वर्मा ने कहा कि अगर कनाडा के साथ उनके रिश्ते अच्छे होते तब भी वह अभिभावकों को यही सलाह देते। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह अपील खुद एक पिता होने के नाते की है। उन्होंने साक्षात्कार में कहा, ‘वे (छात्र) वहां उज्ज्वल भविष्य का सपना लेकर जाते हैं लेकिन उनके शव ‘बॉडी बैग’ में वापस आते हैं।’’
वर्मा ने कहा कि अभिभावकों को निर्णय लेने से पहले कॉलेजों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। बेईमान एजेंट भी उन छात्रों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं जो अल्पज्ञात कॉलेजों में प्रवेश पाते हैं, जो सप्ताह में शायद एक ही कक्षा संचालित करते हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है, क्योंकि ये बच्चे ‘‘अच्छे परिवारों’’ से होते हैं और उनके माता-पिता तथा परिवार के सदस्य उनकी शिक्षा पर बहुत पैसा खर्च करते हैं।
सप्ताह में एक बार होती है कक्षा -
उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि सप्ताह में एक बार कक्षा होती है, इसलिए वे (सिर्फ) उतना ही पढ़ेंगे और उनका कौशल विकास भी उसी हिसाब से होगा। इसके बाद, मान लीजिए कि कोई छात्र इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा पूरी कर लेता है तो मैं ऐसा ही मानूंगा कि वह इंजीनियर के क्षेत्र में नौकरी करेगा। लेकिन आप देखेंगे कि वह कैब चला रहा है या किसी दुकान पर चाय-समोसा बेच रहा है। इसलिए, वहां की जमीनी हकीकत बहुत उत्साहजनक नहीं है।’’
माता-पिता को अपने बच्चों को कनाडा भेजने से पहले दो बार सोचना चाहिए -
यह पूछे जाने पर कि क्या माता-पिता को अपने बच्चों को कनाडा भेजने से पहले दो बार सोचना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘‘बिल्कुल।’’ उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारतीयों के लिए कनाडा और अमेरिका दो शीर्ष गंतव्य हैं। इनमें से कई टोरंटो विश्वविद्यालय, मैकगिल विश्वविद्यालय, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय या अल्बर्टा विश्वविद्यालय आदि को चुनते हैं। लेकिन वहां हर साल भारतीय छात्रों की संख्या कुछ सैकड़ों में होती है।
13 लाख से अधिक भारतीय छात्र विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे -
अगस्त की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, उक्त तिथि तक 2024 में 13,35,878 भारतीय छात्र विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष में उनमें से 4,27,000 कनाडा में और 3,37,630 अमेरिका में, 8,580 चीन में, आठ यूनान में, 900 इजराइल में, 14 पाकिस्तान में और 2,510 यूक्रेन में अध्ययन कर रहे हैं।
भारतीय छात्रों से चार गुना अधिक फीस ली जाती है -
राजनयिक ने कहा कि एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्र एक कनाडाई छात्र द्वारा दिए जाने वाले शुल्क से चार गुना अधिक शुल्क अदा करता है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि वे इतनी बड़ी रकम खर्च करने जा रहे हैं तो उन्हें अच्छी तरह से शोध कर लेना चाहिए कि क्या उन्हें ऐसी सुविधाएं मिलेंगी, जिनके बारे में वे सोच रहे हैं। और, यह सलाह मैं पहले दिन से दे रहा हूं और कई बार मैंने कनाडाई अधिकारियों से भी अनुरोध किया है कि भारतीय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न किया जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वहां जाने के बाद वे फंस जाते हैं। क्योंकि उनमें से कई के माता-पिता ने अपनी जमीनें और अन्य संपत्तियां बेच दी होती हैं... उन्होंने कर्ज लिया होता है। अब वह लड़का या लड़की, जो पढ़ने गया, वापस लौटने के बारे में नहीं सोच सकता क्योंकि लौटने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं बचा होता है और इसके परिणामस्वरूप आत्महत्याएं हो रही हैं।’’ वर्मा ने बताया कि पिछले 18 महीनों में उन्होंने कई छात्रों से उनकी समस्याओं के बारे में वीडियो रिकॉर्ड करवाकर यूट्यूब पर पोस्ट कराई है।
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- NEET UG 2025: सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कितनी सीटें? पिछले साल हुई बढ़ोतरी, जानें राज्यवार डिटेल
- Israel-Iran Conflict: सुरक्षा कारणों से तेहरान से भारतीय छात्रों को निकाला गया, विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी
- UP Police Joining Letter: यूपी पुलिस में एक साथ भर्ती हुए सेवानिवृत्त फौजी और उनके बेटे को मिला नियुक्त पत्र
- Teachers Protest: यूपी में 7 साल से नहीं आई कोई शिक्षक भर्ती, बेरोजगारों ने आयोग दफ्तर के बाहर किया प्रदर्शन
- NEET UG 2025: नीट यूजी आंसर की जल्द; सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए कितने मार्क्स चाहिए? जानें एम्स कटऑफ
- JEE Advanced 2025: जेईई एडवांस्ड पास करने के लिए कितने मार्क्स चाहिए? जानें कैटेगरी वाइज कटऑफ अंक
- NEET UG 2025: उत्तर प्रदेश के शीर्ष एमबीबीएस मेडिकल कॉलेज कौन से हैं? पात्रता और फीस जानें
- NEET UG 2025: नीट यूजी परीक्षा पास करने के लिए कितने मार्क्स चाहिए? जानें पिछले 3 सालों का कैटेगरी वाइज कटऑफ
- IIT Admission 2025: आईआईटी में बिना जेईई कैसे मिलेगा एडमिशन? जानें क्या-क्या हैं विकल्प
- Top Dental Colleges in India 2025: भारत के टॉप डेंटल कॉलेज कौन से हैं? एलिजिबिलिटी, रैंक, फीस जानें