IIT Roorkee: आईआईटी रुड़की ने ओडिशा के 160 इंजीनियरों को जल संसाधन प्रबंधन में उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया
Abhay Pratap Singh | August 22, 2024 | 03:46 PM IST | 3 mins read
आईआईटी रुड़की के WRD&M ने प्रोफेसर दीपक खरे के नेतृत्व में जनवरी 2024 से अगस्त 2024 के बीच आठ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए।
नई दिल्ली: आईआईटी रुड़की एवं जलवायु-अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा एकीकृत सिंचाई परियोजना (OIIPCRA) ने 8 दिसंबर 2023 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था। इसका उद्देश्य ओडिशा के जल संसाधन विभाग के अंतर्गत लघु सिंचाई संगठन के 160 इंजीनियरों एवं अधिकारियों को जल संसाधन प्रबंधन में अत्याधुनिक ज्ञान से लैस करना था, जिसमें लघु सिंचाई प्रणालियों पर विशेष जोर दिया गया।
जल संसाधन प्रबंधन में फील्ड इंजीनियरों एवं अधिकारियों के कौशल को बढ़ाने के उद्देश्य से इस समझौता ज्ञापन पर ओआईआईपीसीआरए के अतिरिक्त सचिव एवं परियोजना निदेशक रश्मि रंजन नायक तथा आईआईटी रुड़की के जल संसाधन एवं प्रबंधन विभाग के बीआईएस चेयर प्रोफेसर प्रो दीपक खरे ने हस्ताक्षर किए। इस पहल को ओडिशा की विकास आयुक्त-सह-अतिरिक्त मुख्य सचिव अनु गर्ग (आईएएस) का समर्थन मिला था।
इस समझौता ज्ञापन के तहत आईआईटी रुड़की ने ओडिशा के 160 इंजीनियरों को जल संसाधन प्रबंधन में उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया। पाठ्यक्रम के अंतिम बैच (12-17 अगस्त 2024) के समापन समारोह में प्रोफेसर केके पंत मुख्य अतिथि थे। सरकार के अतिरिक्त सचिव एवं परियोजना निदेशक, ओआईआईपीसीआरए ओडिशा के रश्मि रंजन नायक विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
पाठ्यक्रम में जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन के अलावा सिविल इंजीनियरिंग, मानविकी, प्रबंधन, मैकेनिकल एवं औद्योगिक इंजीनियरिंग सहित आईआईटी रुड़की के विभिन्न विभागों के प्रोफेसरों के व्याख्यान शामिल थे। साथ ही राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की और एमएनआईटी, जयपुर के विशेषज्ञों के भी व्याख्यान को शामिल किया गया था।
इस प्रयास के तहत आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग (WRD&M) ने प्रोफेसर दीपक खरे के नेतृत्व में आईआईटी रुड़की के सतत शिक्षा केंद्र में जनवरी 2024 से अगस्त 2024 के बीच आठ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। 8 से 13 जनवरी, 2024 तक आयोजित पहले कोर्स का उद्घाटन आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने किया था।
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बुनियादी विषयों के अलावा, प्रतिभागियों को रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस, जल संसाधनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग एप्लीकेशन, निर्णय समर्थन प्रणाली, उन्नत सर्वेक्षण तकनीक और सिंचाई परियोजनाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसी उन्नत तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया। कार्बन क्रेडिट और सिंचाई के लिए उनकी प्रासंगिकता जैसे विषयों को भी शामिल किया गया।
आईआईटी रुड़की के वित्त एवं नियोजन कुलशासक प्रोफेसर दीपक खरे ने कहा, “इस पहल की सफलता जल संसाधन प्रबंधन में विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी रुड़की के समर्पण को दर्शाती है। हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल तकनीकी कौशल को बढ़ाते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव समाधानों को भी प्रेरित करते हैं।”
इन कार्यक्रमों में ओडिशा के 160 सिविल इंजीनियरों ने प्रशिक्षण में भाग लिया एवं भूजल मूल्यांकन, संयुक्त उपयोग, भूजल शासन, मिट्टी बांध, नहर डिजाइन, नहर लाइनिंग, क्रॉस ड्रेनेज कार्य, जल उपयोग दक्षता, मृदा अपरदन, अवसादन, हाइड्रोलिक संरचनाओं की रेट्रोफिटिंग, परियोजना प्रबंधन, आर्थिक जोखिम मूल्यांकन, वर्षा जल संचयन, सूखा मूल्यांकन और सिंचाई परियोजनाओं के लागत-लाभ विश्लेषण सहित जल संसाधन प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं में गहन ज्ञान प्राप्त किया।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. केके पंत ने कहा, “यह प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थायी जल प्रबंधन और कृषि पद्धतियों का समर्थन करने के लिए हमारी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इंजीनियरों को उन्नत ज्ञान एवं कौशल से लैस करके, हम विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे रहे हैं और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं।”
ओआईआईपीसीआरए के अतिरिक्त सचिव एवं परियोजना निदेशक रश्मि रंजन नायक ने कहा, “आईआईटी रुड़की के साथ सहयोग हमारे क्षेत्र के इंजीनियरों और अधिकारियों की क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक रहा है। यह पहल जलवायु-लचीली कृषि और टिकाऊ जल संसाधन प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
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