आईआईटी मंडी ने शैक्षणिक और शोध सहयोग के लिए सीएसवीटीयू भिलाई के साथ किया समझौता
आईआईटी मंडी का लक्ष्य एमओयू के माध्यम से सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देना है।
Abhay Pratap Singh | March 27, 2024 | 02:41 PM IST
नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (आईआईटी मंडी) ने शैक्षणिक और शोध सहयोग को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई (सीएसवीटीयू भिलाई) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। यह समझौता ज्ञापन पांच साल की अवधि के लिए किया गया है, जिसे बाद में आपसी सहमति से बढ़ाया जा सकता है।
आईआईटी मंडी के रजिस्ट्रार डॉ. कुमार संभव पांडे ने कहा कि, “सहयोग के माध्यम से उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप आईआईटी मंडी द्वारा सीएसवीटीयू भिलाई संस्थान के साथ सक्रिय रूप से साझेदारी की गई है। सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर आईआईटी मंडी का लक्ष्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देना है।”
हस्ताक्षर समारोह के माध्यम से 26 मार्च 2024 को दोनों संस्थाओं द्वारा समझौता ज्ञापन को औपचारिक रूप दिया गया। कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एमके वर्मा और आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो लक्ष्मीधर बेहरा उपस्थित थे।
इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से आईआईटी मंडी और छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई द्वारा वैज्ञानिक ज्ञान और सूचना के आदान-प्रदान के लिए संस्थानों के बीच फैकल्टी और स्टाफ सदस्यों के आदान-प्रदान की सुविधाओं को भी शामिल किया गया है।
इसके अलावा समझौता ज्ञापन द्वारा सहयोगात्मक पर्यवेक्षण के माध्यम से अकादमिक और अनुसंधान उत्कृष्टता को बढ़ावा देने तथा संयुक्त पोस्टडॉक्टोरल और पीएचडी कार्यक्रमों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। आईआईटी मंडी और सीएसवीटीयू भिलाई दोनों संस्थान पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों के अनुसार शोध सुविधाओं तक पहुंच भी प्रदान करेंगे।
सहयोग में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्त पोषित परियोजनाओं में भागीदारी सहित संयुक्त अनुसंधान पहल को भी शामिल किया जाएगा। इस एमओयू के माध्यम से दोनों संस्थाओं द्वारा सेमिनार, कार्यशाला, सम्मेलन और प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसी संयुक्त गतिविधियों की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिससे छात्रों को दोनों संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं और संसाधनों का लाभ प्राप्त करने का अवसर मिल सके।
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