International Women’s Day 2025: आईआईटी दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ग्रुप डिस्कशन का आयोजन
International Women’s Day 2025: थीम इस बार महिला दिवस की थीम 'Accelerate Action' रखी गई है, जिसका मतलब होता है 'कार्रवाई में तेजी'। यानी कि महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और जागरुकता पैदा करने को लेकर अब कार्य की गति तेज करने की जरूरत है।
Saurabh Pandey | March 8, 2025 | 06:58 PM IST
नई दिल्ली : आईआईटी दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के मौके पर एक ग्रुप डिस्कशन का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक 'बातों बातों में' रखा गया था। इस कार्यक्रम में दिल्ली एनसीआर के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के फैकल्टी, कर्मचारियों और छात्रों ने भाग लिया। समारोह की शुरुआत आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने इस अवसर पर सभी को बधाई दी।
इस दिन को मनाने के लिए आईआईटी दिल्ली के टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब, आई-हब फाउंडेशन फॉर कोबोटिक्स (आईएचएफसी) ने आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र संघ और अकादमिक आउटरीच कार्यालय के सहयोग से आईआईटीडी विमेन इन एआई एंड रोबोटिक्स पहल के तहत वित्त पोषण के लिए आवेदन आमंत्रित किए, जिसमें प्रौद्योगिकी में महिलाओं को समर्थन और एडवांस्ड के लिए 2 करोड़ रुपये तक की पेशकश की गई।
International Women’s Day 2025: थीम
इस बार महिला दिवस की थीम 'Accelerate Action' रखी गई है, जिसका मतलब होता है 'कार्रवाई में तेजी'। यानी कि महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और जागरुकता पैदा करने को लेकर अब कार्य की गति तेज करने की जरूरत है।
निदेशक के संबोधन के बाद, प्रोफेसर शिल्पी शर्मा, एसोसिएट डीन अकादमिक (आउटरीच और नई पहल) ने मुख्य वक्ता डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, अध्यक्ष, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन का परिचय कराया। डॉ. स्वामीनाथन, जिन्होंने पहले डब्ल्यूएचओ की पहली मुख्य वैज्ञानिक और आईसीएमआर की महानिदेशक के रूप में कार्य किया था, ने 'होल्डिंग अप हाफ द स्काई' शीर्षक से एक उद्बोधन दिया, जहां उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सशक्तिकरण और आगे के मार्ग पर अंतर्दृष्टि साझा की।
प्रोफेसर नारायणन डी. कुरुर, डीन (अकादमिक) ने वक्ता, उपस्थित लोगों और आयोजन टीम को धन्यवाद प्रस्ताव दिया। आईआईटी दिल्ली के फैकल्टी मेंबर , प्रो. एंजेली मुल्तानी, प्रो. दीप्ति गुप्ता और प्रो. रविंदर कौर ने साझा किया कि उन्होंने अब तक अपनी प्रोफेशनल जर्नी में कैसे काम किया और कैसे वे रूढ़ियों को तोड़ने में कामयाब रहीं। इसके बाद सेल्फ-लीडरशिप पर एक पैनल चर्चा हुई, जिसका संचालन प्रोफेसर शुचि सिन्हा, एसोसिएट डीन (संकाय) ने किया।
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