DU EC 1278th Meeting: कॉलेजों में खाली सीटों पर फिजिकल एडमिशन के जरिए हो दाखिला, कुलपति योगेश सिंह ने कहा

Santosh Kumar | September 12, 2025 | 05:07 PM IST | 2 mins read

ईसी बैठक के दौरान कुलपति ने सुझाव दिया कि जिन कॉलेजों में यूजी की सीटें खाली हैं, उनके लिए ओपन मॉप-अप राउंड पर विचार किया जाए।

डीयू ईसी की बैठक में पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए दिशानिर्देश भी पारित किए गए। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद (ईसी) की 1278वीं बैठक 12 सितंबर 2025 को कुलपति योगेश सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक की शुरुआत में कुलपति ने देश के 15वें उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी। बैठक में कुलपति ने कहा कि कॉलेजों में खाली सीटों पर फिजिकल एडमिशन के जरिए दाखिले का प्रावधान होना चाहिए। साथ ही, बैठक में पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए दिशानिर्देश भी पारित किए गए।

बैठक में श्रीलंकाई प्रधानमंत्री और डीयू की पूर्व छात्रा डॉ. हरिनी अमरसूर्या को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करने का भी निर्णय लिया गया। कुलपति ने बताया कि श्रीलंका की प्रधानमंत्री संभवतः 17-18 अक्टूबर 2025 को भारत आएंगी।

ईसी बैठक के दौरान कुलपति ने सुझाव दिया कि जिन कॉलेजों में यूजी की सीटें खाली हैं, उनके लिए ओपन मॉप-अप राउंड पर विचार किया जाए। इससे छात्र फिजिकल एडमिशन के जरिए स्पॉट एडमिशन द्वारा सीधे कॉलेज में दाखिला ले सकेंगे।

कॉलेज में रिसर्च डिस्कशन रूम बनाए जाए

ईसी सदस्यों ने कुलपति को इस विषय पर नीति बनाने के लिए अधिकृत किया। यूजी के चौथे वर्ष के संबंध में कुलपति ने कहा कि प्रत्येक कॉलेज में रिसर्च डिस्कशन रूम बनाए जाएं तथा शिक्षकों के लिए भी कमरों की व्यवस्था की जाए।

ईसी बैठक में सदस्यों ने ईसीए और स्पोर्ट्स कोटा से होने वाले दाखिलों पर स्पष्ट नीति बनाने की मांग की। कुलपति ने बताया कि सभी कॉलेजों के लिए संयुक्त 5 प्रतिशत कोटा तय है। कॉलेज अपनी सुविधाओं के अनुसार इसमें 3:2 का बंटवारा कर सकते हैं।

ईसी सदस्यों ने कुलपति को नीति निर्धारण का अधिकार दिया। बैठक में पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए दिशानिर्देश भी पारित किए गए। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के सभी विभाग अपने-अपने विषयों में पीएचडी कार्यक्रम संचालित करते हैं।

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पीएचडी पाठ्यक्रम के लिए दिशानिर्देश

डीयू कार्यकारी समिति ने पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए नए दिशानिर्देशों को मंज़ूरी दे दी है, जो 2025-26 से लागू होंगे। अब पीएचडी में 12 से 16 क्रेडिट की पढ़ाई होगी। इसमें शोध पद्धति के लिए 4 क्रेडिट, शोध प्रकाशन के लिए 2 क्रेडिट शामिल हैं।

इसमें शोध उपकरणों के लिए 2 क्रेडिट और विषय-विशिष्ट वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के लिए 4 क्रेडिट शामिल होंगे। आवश्यकता पड़ने पर डीएसई से अतिरिक्त 4 क्रेडिट प्राप्त किए जा सकते हैं। यह विशिष्ट क्षेत्र पर लागू होगा।

ऐसे पाठ्यक्रम स्नातकोत्तर अध्ययन में नहीं दिए जाने चाहिए। पीएचडी पाठ्यक्रम के शिक्षण घंटे संकाय के कार्यभार में शामिल हैं। पीएचडी पाठ्यक्रम में दिए जाने वाले पाठ्यक्रम पीजी कार्यक्रमों में दिए जाने वाले पाठ्यक्रमों से उच्च स्तर के होने चाहिए।

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