Delhi Schools Fee Hike: राजधानी दिल्ली में फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों पर की जाएगी कार्रवाई - शिक्षा मंत्री

Press Trust of India | April 8, 2025 | 08:08 AM IST | 2 mins read

दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने ‘मॉडर्न स्कूल’ मामले में 2004 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए दोहराया कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय (डीओई) की मंजूरी के बिना फीस नहीं बढ़ा सकते।

दिल्ली शिक्षा विभाग ने फीस वृद्धि मामलों के लिए एक ईमेल सेवा शुरू की है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सोमवार (7 अप्रैल) को कहा कि मनमाने ढंग से शुल्क (फीस) बढ़ाने वाले निजी विद्यालयों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। मंत्री ने कहा कि ऐसे विद्यालयों की सूची तैयार की गई है और प्रत्येक का निरीक्षण किया जाएगा। निष्कर्षों के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “दिल्ली के 1,677 निजी विद्यालयों में से 335 सरकारी जमीन पर संचालित हैं और वे दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम 1973 के तहत आते हैं। इसलिए फीस बढ़ाने के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता है, केवल 114 स्कूल इस शर्त से मुक्त हैं।”

एक बयान के अनुसार, सूद ने द्वारका के एक निजी स्कूल के आंकड़ों का हवाला दिया, जिसने 2020 से 2025 तक लगातार अपनी फीस में सात से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। उन्होंने कुछ निजी विद्यालयों के नाम भी बताए, जिन्होंने शिक्षा निदेशालय की मंजूरी के बिना फीस में 30 से 38 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है।

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‘आप’ ने हाल ही में दिल्ली के निजी स्कूलों में कथित फीस बढ़ोतरी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी शासित दिल्ली सरकार पर हमला बोला था। नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा की शह पर कई विद्यालयों ने बिना उचित निगरानी के अपनी ‘ट्यूशन फीस’ में काफी वृद्धि की है।

शिक्षा मंत्री ने द्वारका के एक निजी स्कूल के खिलाफ जांच शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “स्कूल की साल-दर-साल फीस बढ़ोतरी की जांच की जा रही है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अगले 10 दिनों के भीतर सभी निजी ‍‍‍‍विद्यालयों में फीस बढ़ोतरी का डेटा शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया जाएगा।”

शिक्षा विभाग ने शिक्षा उपनिदेशक की निगरानी में एक ईमेल सेवा शुरू की है, जहां माता-पिता या अभिभावक अनुचित फीस वृद्धि से संबंधित शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि माता-पिता या अभिभावक शिक्षा निदेशालय के कार्यालयों में व्यक्तिगत रूप से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। जांच के बाद दोषी पाए जाने वाले विद्यालयों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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