स्कूल और कॉलेजों में प्राप्त शिक्षा का उद्देश्य समाज की भलाई हो, विद्या भारती मॉडल को दें बढ़ावा - RSS प्रमुख
मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में कोई भी सरकार युवाओं को केवल 10% नौकरियां ही दे सकती है जबकि बाकी लोगों के रोजगार या व्यवसाय समाज की मजबूती से ही पैदा होते हैं।
Press Trust of India | November 18, 2024 | 11:41 AM IST
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि स्कूली शिक्षा केवल उन लोगों के लिए ही फलदायी है जो उसका उपयोग करना जानते हैं और अगर कोई शिक्षा का इस्तेमाल करना नहीं जानता तो उसे उसका कोई खास लाभ नहीं है। उन्होंने ने कहा, “अनेक महान व्यक्तियों के ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने स्कूल में शिक्षा हासिल न करने के बावजूद समाज को महत्वपूर्ण दिशा दिखाई ।”
आरएसएस प्रमुख भागवत ने आगे कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा के विद्या भारती मॉडल को बढ़ावा देना चाहिए जो न केवल उसे या उसके परिवार की बेहतरी के लिए बल्कि पूरे समाज की भलाई के लिए शिक्षा प्रदान करता है। संघ प्रमुख ने कहा कि संस्कार ही समाज को मजबूती देते हैं और समाज ही सर्वोपरि होता है।
पिथौरागढ़ जिले (उत्तराखंड) के मुवानी में शेरसिंह कार्की सरस्वती विहार की इमारत का उद्घाटन करने के बाद संघ कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने जोर देकर कहा कि स्कूल और कॉलेजों में प्राप्त शिक्षा का उद्देश्य समाज की भलाई के लिए उसका उपयोग करना होना चाहिए।
भागवत ने कहा कि दुनिया में कोई भी सरकार युवाओं को केवल 10 प्रतिशत नौकरियां ही दे सकती है जबकि बाकी लोगों के रोजगार या व्यवसाय समाज की मजबूती से ही पैदा होते हैं। अपने भाषण में संघ प्रमुख ने कहा, “हमारा प्रदेश अतीत में समृद्ध रहा है और समाज की मजबूती के साथ भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा ।”
उन्होंने कहा, “यह समाज ही है जो हमें सिखाता है कि एक उद्देश्यपूर्ण जीवन कैसे जिया जाता है।” भागवत ने कहा कि उत्तराखंड तपोभूमि है जहां सालभर हजारों ऋषि तपस्यारत रहते हैं लेकिन उनकी तपस्या का फल हमेशा आसपास रहने वाले दूसरे लोगों को आलोकित करता है।
संघ प्रमुख उत्तराखंड के कुमाउं क्षेत्र के दौरे पर हैं और वह शनिवार रात को चंपावत से पिथौरागढ़ पहुंचे। पिथौरागढ़ में संघ के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुवानी में उनके कार्यक्रमों में नवनिर्मित स्कूल परिसर में चंदन के पौधे का रोपण करना तथा स्थानीय लोगों से मुलाकात करना भी शामिल था।
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