आईआईटी की तर्ज पर एमपी में इंजीनियरिंग कॉलेज होंगे विकसित- डीप टेक रिसर्च एंड डिस्कवरी सेंटर के उद्घाटन में CM
एमपी के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी समृद्ध संस्कृति, ऋषि परंपरा को नष्ट करने के अनेक प्रयास किए गए। आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में हमारी संस्कृति का परचम लहरा रहा है।
Abhay Pratap Singh | March 8, 2024 | 06:20 PM IST
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति जीवंत और अनुसंधानात्मक हैं। संस्कृति की इसी विशेषता से हमारे यहां निरंतर हजारों वर्षों से रिसर्च को प्रोत्साहन दिया गया। हमारा संकल्प है कि मध्यप्रदेश में आईआईटी की तर्ज पर प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज विकसित किए जाएंगे। आईआईटी से हो रहे ज्ञान के प्रसार को इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थी भी सीख सकेंगे।
इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में तीन अत्याधुनिक लैब खगोल विज्ञान एवं अंतरिक्ष अभियांत्रिकी धरोहर तथा नवाचार केंद्र, लेजर इंजीनियरिंग लैब और मेकर स्पेस लैब का सीएम डॉ मोहन यादव ने आज यानी 8 मार्च को उद्घाटन किया। वहीं, केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश को नवीन ज्ञान परंपरा का केन्द्र बनाने के लिए इंदौर और उज्जैन कॉरिडोर इसका नेतृत्व करें।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव आयोजित नवाचार, प्रौद्योगिकी एवं उद्यमिता अनुभावतमक विद्यार्जन (डीप-टेक रिसर्च एंड डिस्कवरी सेंटर) केंद्र के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक परंपरा को हमारे यहाँ ऋषि परंपरा के नाम से जाना जाता है, जिसमें वैज्ञानिकता के आधार पर ज्ञान को स्थापित किया गया है। हमारी समृद्ध संस्कृति, ऋषि परंपरा को नष्ट करने के अनेक प्रयास किए गए। आज दुनिया यहाँ आकर शिक्षा ग्रहण करेगी और हमारी अच्छाई सीखेगी।
एमपी सीएम ने आगे कहा कि आज खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए उज्जैन से ही एक महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत की गई है। हमारी समृद्ध ज्ञान-परंपरा के कई रहस्य निरंतर उद्घाटित होते जा रहे हैं, जिन्हें दुनिया स्वीकार रही है। आगे कहा कि भगवान महाकाल की नगरी से विज्ञान की धारा प्रवाहित हो रही है। उज्जैन, विज्ञान की नगरी के नाम से दुनिया में स्थापित होगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में मध्यप्रदेश वासियों का लोहा संसार मान रहा है। मध्य प्रदेश के लोगों के रग-रग में शोध, अनुसंधान और नवाचार समाया हुआ है। इन नवाचारों को उचित प्लेटफार्म प्रदान कर भविष्य के उपयोग के लिए उनका क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान एवं अन्य संस्थाओं के निर्देशकों और शिक्षकों से कहा कि भारतीय समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा को भारतीय मूल भाषाओं में समझे और 300 से 400 वर्ष पहले की गई हमारी वर्षा की गणना व हजारों वर्ष पूर्व सटीक काल गणना को गहराई से जानें।
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