Mitti se Mitti Tak: आईआईटी रुड़की ने गेहूं के भूसे से पर्यावरण अनुकूल टेबलवेयर किया विकसित
Abhay Pratap Singh | October 4, 2025 | 10:24 AM IST | 2 mins read
यह पहल स्वच्छ भारत मिशन, आत्मनिर्भर भारत और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) - विशेष रूप से एसडीजी 12 (जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन) तथा एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई) - के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की (IIT Roorkee) के इनोपैप लैब (कागज एवं पैकेजिंग में नवाचार) के शोधकर्ताओं ने औरंगाबाद स्थित पैरासन मशीनरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से गेहूं के भूसे से पर्यावरण-अनुकूल टेबलवेयर विकसित किया है। यह नवाचार प्लास्टिक प्रदूषण और पराली जलाने जैसी दोहरी चुनौतियों के समाधान के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने में भी सहायक साबित होगा।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि, “टीम ने गेहूं के भूसे को ढाले हुए बायोडिग्रेडेबल टेबलवेयर में बदलकर प्लास्टिक का एक सुरक्षित, कम्पोस्टेबल और टिकाऊ विकल्प तैयार किया है। टिकाऊ, ऊष्मा-प्रतिरोधी और खाद्य-सुरक्षित ये उत्पाद 'मिट्टी से मिट्टी तक' के दर्शन को साकार करते हैं, जो धरती से उत्पन्न होकर लोगों के काम आते हैं और बिना किसी नुकसान के मिट्टी में वापस मिल जाते हैं।”
इस परियोजना का नेतृत्व करने वाले कागज प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो विभोर के रस्तोगी ने कहा, “यह शोध दर्शाता है कि कैसे रोजमर्रा की फसल के अवशेषों को उच्च-गुणवत्ता वाले, पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों में बदला जा सकता है। यह विज्ञान एवं इंजीनियरिंग की उस क्षमता को दर्शाता है जो पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और आर्थिक रूप से व्यवहार्य समाधान प्रदान कर सकती है।
प्रेस रिलीज के अनुसार, “भारत में हर साल 35 करोड़ टन से अधिक कृषि अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसका एक बड़ा हिस्सा या तो जला दिया जाता है, जिससे वायु गुणवत्ता बिगड़ती है और जलवायु परिवर्तन में योगदान होता है या सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। गेहूं के भूसे का उन्नत उपयोग करके यह शोध न केवल पर्यावरणीय नुकसान को कम करता है, बल्कि किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करता है।”
आगे कहा गया कि, पीएचडी छात्रा जैस्मीन कौर और पोस्ट-डॉक्टरल शोधकर्ता डॉ. राहुल रंजन ने मोल्डेड टेबलवेयर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही, भविष्य के लिए समाधान तैयार करने में नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर दिया।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो कमल किशोर पंत ने कहा, “यह नवाचार समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने की आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करके, साथ ही किसानों की आजीविका को बेहतर बनाकर, यह पहल दर्शाती है कि कैसे शोध स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया जैसे राष्ट्रीय अभियानों और स्थिरता लक्ष्यों की प्राप्ति में सीधे तौर पर सहायक हो सकता है।”
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- CAT 2025: कैट परीक्षा 30 नवंबर को 3 पाली में; 2 महीने में कैसे करें तैयारी? जानें एग्जाम पैटर्न, चयन प्रक्रिया
- UP News: यूपी में वजीफा से वंचित 5 लाख से अधिक छात्रों को दिवाली से पहले मिलेगी छात्रवृत्ति, सीएम योगी ने कहा
- NIRF Ranking 2025: यूनिवर्सिटी श्रेणी में डीयू 5वें स्थान पर, टॉप 20 में दिल्ली विश्वविद्यालय के 10 कॉलेज
- NIRF MBA Ranking 2025: आईआईएम अहमदाबाद शीर्ष पर बरकरार, आईआईएम लखनऊ की टॉप 5 में वापसी, देखें लिस्ट
- Govt Survey: एक तिहाई स्कूली बच्चे लेते हैं निजी कोचिंग, शहरों में यह प्रवृत्ति अधिक, सरकारी सर्वे में खुलासा
- NEET PG 2025 Result: नीट पीजी रिजल्ट 3 सितंबर तक होगा जारी, लाखों उम्मीदवारों को इंतजार, जानें अपेक्षित कटऑफ
- Coursera Global Skills Report 2025: भारत वैश्विक रैंकिंग में 89वें स्थान पर, एआई और टेक स्किल की मांग में तेजी
- NEET UG 2025: उत्तर प्रदेश के टॉप सरकारी मेडिकल कॉलेज कौन से हैं? पात्रता, फीस और रैंक जानें
- NEET UG 2025 Counselling: एम्स दिल्ली के लिए नीट में कितने मार्क्स चाहिए? जानें संभावित कैटेगरी वाइज कटऑफ
- Parakh Rashtriya Sarvekshan: कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा- स्कूली शिक्षा की स्थिति चिंताजनक, मोदी सरकार उदासीन