रत्न एवं आभूषण क्षेत्र (Gems & Jewelry Sector) में कौशल-आधारित उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने की दिशा में मेधावी स्किल्स यूनिवर्सिटी के साथ आईएसजीजे का यह समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है।
Abhay Pratap Singh | September 24, 2024 | 01:24 PM IST
नई दिल्ली: मेधावी स्किल्स यूनिवर्सिटी (MSU) ने सूरत में इंटरनेशनल स्कूल ऑफ जेम्स एंड ज्वेलरी (ISGJ) के साथ ज्वेलरी डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (JD&M) क्षेत्र में बीबीए, एमबीए प्रोग्राम शुरू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य पारंपरिक शिल्प कौशल और आधुनिक उद्योग आवश्यकताओं के बीच के अंतर को समाप्त करना है।
अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (AIDP) से लैस पाठ्यक्रम छात्रों को उद्योग का गहन ज्ञान और व्यावहारिक विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। JD&M में एईडीपी के साथ नए युग के पाठ्यक्रम छात्रों को अकादमिक कठोरता और उद्योग के अनुभव का मिश्रण प्रदान करेंगे, जिससे वे तेजी से विकसित हो रहे आभूषण डिजाइन और विनिर्माण उद्योग में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए तैयार होंगे।
समझौता ज्ञापन (MoU) पर एमएसयू के सह-संस्थापक व प्रो-चांसलर कुलदीप सरमा और आईएसजीजे के संस्थापक व सीईओ कल्पेश देसाई ने एमएसयू के उद्योग संबंध उपाध्यक्ष सजीव कुमार एस और आईएसजीजे की अकादमिक निदेशक ऋद्धि वच्छानी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। समारोह के बाद एक जानकारीपूर्ण उद्योग भ्रमण का आयोजन किया गया, जिसमें रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों, उद्योग के नेताओं और छात्रों को एक मंच पर लाया गया।
इस अवसर पर कुलदीप सरमा ने कहा, “रत्न एवं आभूषण क्षेत्र अपने 4.6 मिलियन कार्यबल के साथ भारत के सकल घरेलू उत्पाद में प्रमुख योगदानकर्ता बना हुआ है, इसलिए जनशक्ति को उन्नत और मजबूत बनाने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। एमएसयू-आईएसजीजे सहयोग से हम ऐसे नवोन्मेषी कार्यक्रम बना रहे हैं जो उद्योग और शिक्षा जगत को एकीकृत कर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देंगे।”
सहयोग के प्रति अपना उत्साह व्यक्त करते हुए आईएसजीजे के सीईओ कल्पेश देसाई ने कहा, “यह कार्यक्रम रत्न और आभूषण शिल्प कौशल में ISGJ की विशेषज्ञता और कौशल-आधारित शिक्षा के लिए MSU के दूरदर्शी दृष्टिकोण का एक शक्तिशाली संयोजन है। हमारा लक्ष्य डिजाइनरों और पेशेवरों की एक नई पीढ़ी को विकसित करना है जो रत्न और आभूषणों में भारत की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाएंगे।”
एमएसयू के उपाध्यक्ष डॉ. सजीव कुमार ने कहा, “यह समझौता उभरते उद्योगों में नवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए एमएसयू की प्रतिबद्धता में एक नया अध्याय जोड़ता है। रत्न और आभूषण क्षेत्र हमेशा से भारत की विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा और इस साझेदारी के साथ हमारा लक्ष्य अपने छात्रों को उद्योग-प्रासंगिक और भविष्य-केंद्रित यूनिक शिक्षण प्रदान करना है।”