JAIN Online PG Program: जैन ऑनलाइन ने पॉलिसीमेकर पब्लिक पॉलिसी में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम किया शुरू
पब्लिक पॉलिसी में शुरू किया गया स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पॉलिसीमेकर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
Abhay Pratap Singh | September 26, 2024 | 03:53 PM IST
नई दिल्ली: जैन (डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी) की ई-लर्निंग शाखा जैन ऑनलाइन (JAIN Online) ने अपने दो वर्षीय ऑनलाइन मास्टर ऑफ आर्ट्स इन पब्लिक पॉलिसी के लिए प्रवेश शुरू करने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भविष्य के पॉलिसीमेकर्स को तैयार करना और शिक्षार्थियों को घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय नीति वातावरण की व्यापक समझ प्रदान करना है।
यह चार सेमेस्टर का कार्यक्रम शिक्षार्थियों को सार्वजनिक नीति प्रबंधन, सार्वजनिक प्रशासन, अंतरराष्ट्रीय मामले, सार्वजनिक वित्त प्रबंधन, राजकोषीय नीति, समाजशास्त्र, सतत विकास, डिजिटल शासन, राजनीतिक अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक नीति में प्रौद्योगिकी एकीकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों में गहन जानकारी प्रदान करेगा। पाठ्यक्रम पॉलिसीमेकर की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है।
पब्लिक पॉलिसी के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम में ज्ञान, बुद्धि और नैतिकता पर केंद्रित नीति वार्ता श्रृंखला शामिल है। यह कार्यक्रम वाइब्रेंट करियर के क्षेत्र में रोजगार के द्वार भी खोलेगा। कार्यक्रम के स्नातक सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में प्रभावशाली नौकरी की भूमिकाएं जैसे मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, कार्यक्रम निदेशक, पर्यावरण नीति विशेषज्ञ और विदेश नीति विश्लेषक आदि अपना सकते हैं।
पब्लिक पॉलिसी एमए कार्यक्रम के लिए आवेदन करने वाले इच्छुक और योग्य उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट https://bit.ly/3XteBaa पर जाकर ऑनलाइन माध्यम में आवेदन फॉर्म भर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवारों को जैन ऑनलाइन की वेबसाइट https://onlinejain.com/ पर विजिट करने की सलाह दी गई है।
जैन (डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी) के कुलपति डॉ. राज सिंह ने कहा, “इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारा लक्ष्य शिक्षार्थियों को सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार करना है। आज भारत और वैश्विक स्तर पर पब्लिक पॉलिसी में एमए कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पेशेवरों को जटिल सामाजिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।”
कुलपति ने आगे कहा कि, “जैसे-जैसे तीव्र तकनीकी प्रगति, भू-राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव तथा आर्थिक असमानताएं बढ़ती जा रही हैं, पॉलिसीमेकर्स को ऐसे समाधान तैयार करने होंगे जो आर्थिक विकास, सामाजिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता को एक साथ जोड़ सकें। भारत में यह कार्यक्रम गलत सूचना, जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण जैसी चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।”
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