IIT Kanpur: आईआईटी कानपुर ने ‘इंजीनियर के लिए मानव-केंद्रित डिजाइन’ विषय पर एसईआरबी कार्यशाला का आयोजन किया
आईआईटी कानपुर में डिजाइन थिंकिंग, कम्युनिकेशन डिजाइन, इंटरफेस, मूल्यांकन, आईओटी प्रोटोटाइप और रोबोटिक्स में व्यक्तियों की भूमिका पर कार्यशाला केंद्रित था।
Abhay Pratap Singh | March 22, 2024 | 04:43 PM IST
नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी कानपुर) ने एक्सीलेरेट विज्ञान योजना के तहत “इंजीनियरों के लिए मानव-केंद्रित डिजाइन” विषय पर एसईआरबी कार्यशाला का आयोजन किया। एसईआरबी कार्यशाला का उद्देश्य इंजीनियरिंग पेशेवरों और छात्रों के बीच मानव-केंद्रित डिजाइन की समझ और अभ्यास को विकसित करना था।
आईआईटी कानपुर में एसईआरबी कार्यशाला का आयोजन 15 से 21 मार्च 2024 तक सात दिनों के लिए किया गया था। इस कार्यक्रम में आईआईटी कानपुर के फैकल्टी सदस्यों के नेतृत्व में व्याख्यान, प्रदर्शन और व्यावहारिक प्रोटोटाइप सत्र को शामिल किया गया था।
संकाय सदस्यों ने प्रोडक्ट डिजाइन और मेडटेक से लेकर डिजाइन थिंकिंग, संचार डिजाइन, इंटरफेस, मूल्यांकन, आईओटी प्रोटोटाइप और रोबोटिक्स में व्यक्तियों की भूमिका जैसे विषयों पर व्यावहारिक सत्र का आयोजन किया। एसईआरबी कार्यशाला में डिजाइन विभाग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग समेत अन्य विभागों के प्रोफेसर भी शामिल हुए।
बताया गया कि कार्यशाला मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने, इंजीनियरिंग शिक्षा और अभ्यास में डिजाइन थिंकिंग सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिए आईआईटी कानपुर की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। एसईआरबी वर्कशॉप में देश भर के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों के मास्टर और पीएचडी छात्र शामिल हुए थे।
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आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने कहा कि, “आईआईटी कानपुर में हम इंजीनियरिंग में मानव-केंद्रित डिजाइन के महत्व को पहचानते हैं। हमारे नवाचार न केवल तकनीकी विशिष्टताओं को पूरा करते हैं, बल्कि अंतिम उपयोगकर्ताओं के वास्तविक अनुभवों को भी ध्यान में रखते हैं।”
प्रोफेसर एस गणेश ने आगे कहा कि इस कार्यशाला ने इंजीनियरों को डिजाइन सिद्धांतों के माध्यम से एक मंच प्रदान किया है, जो उपयोगकर्ता को अनुकूल और प्रभावशाली समाधानों के विकास में योगदान देने वाले मानवीय कारकों को प्राथमिकता देता है।
एसईआरबी कार्यशाला के महत्व को बताते हुए आईआईटी कानपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विवेक कांत ने कहा, “इस कार्यशाला के दौरान प्राप्त ज्ञान और अनुभव प्रतिभागियों को अपने भविष्य के प्रयासों में मानव-केंद्रित डिजाइन सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिए प्रेरित करेंगे, जो अंततः उपयोगकर्ता के अनुकूल और समावेशी प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान देंगे।”
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