Press Trust of India | August 7, 2025 | 05:29 PM IST | 2 mins read
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में बीच में ही स्कूल की पढ़ाई छोड़ने के सबसे अधिक मामले छत्तीसगढ़ (88), ओडिशा (87) और मध्यप्रदेश (71) में सामने आए।
नई दिल्ली: सरकार ने आज यानी 7 अगस्त को संसद में बताया कि आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2024-25 में ऐसे 552 मामले सामने आए, जबकि 2021-22 में यह संख्या केवल 111 थी।
जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी गई जानकारी के अनुसार, शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में बीच में ही स्कूल की पढ़ाई छोड़ने के सबसे अधिक मामले छत्तीसगढ़ (88), ओडिशा (87) और मध्यप्रदेश (71) में सामने आए।
वर्ष 2021-22 और 2024-25 के बीच कुल 1,233 आदिवासी छात्र ईएमआरएस से निकल गए। यह संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। वर्ष 2021-22 में 111 से बढ़कर 2022-23 में 241 और 2023-24 में 329 हो गई। ईएमआरएस केंद्र द्वारा वित्तपोषित आवासीय विद्यालय हैं जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के लिए आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं।
मंत्री ने बताया कि इस वर्ष 14 जुलाई तक, स्वीकृत 728 ईएमआरएस में से 479 चालू हालत में हैं। ओडिशा में स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या बहुत अधिक है, जहां 2023-24 में 84 और 2024-25 में 87 छात्रों ने स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।
छत्तीसगढ़ में स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या 2021-22 के केवल दो से बढ़कर 2024-25 में 88 हो गई। मध्यप्रदेश में 2022-23 में सबसे अधिक 101 छात्रों ने स्कूल छोड़ा, जबकि 2024-25 के शैक्षणिक वर्ष में यह संख्या घटकर 71 रह गई।
झारखंड में 2022-23 में 30 छात्रों ने स्कूल छोड़ा, लेकिन 2024-25 में यह संख्या घटकर छह रह गई। वर्ष 2024-25 में अधिक संख्या में छात्रों के स्कूल छोड़ने वाले अन्य राज्यों में महाराष्ट्र (68), आंध्र प्रदेश (66), राजस्थान (45) और तेलंगाना (37) शामिल हैं।