Delhi University: डीयू में नए शैक्षणिक वर्ष के लिए कक्षाएं शुरू, आवास की खोज में जुटे छात्र, अभिभावक

डीयू ने इस साल 69 कॉलेजों में 65,000 से ज्यादा छात्रों को दाखिला दिया है। विश्वविद्यालय 1,500 से ज्यादा प्रोग्राम चलाता है, जिसमें कुल 71,600 सीटें उपलब्ध हैं।

इस वर्ष सीयूईटी यूजी 2024 परिणामों के कारण DU का शैक्षणिक सत्र देरी से शुरू हुआ। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)
इस वर्ष सीयूईटी यूजी 2024 परिणामों के कारण DU का शैक्षणिक सत्र देरी से शुरू हुआ। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

Press Trust of India | August 29, 2024 | 10:43 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में आज यानी 29 अगस्त से नया शैक्षणिक वर्ष शुरू हो गया है। कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के नतीजों के लंबे इंतजार के बाद कक्षाएं फिर से शुरू होने से अभिभावकों और उनके बच्चों के बीच अनिश्चितता का दौर खत्म हो गया है। एडमिशन कन्फर्म होने के बाद छात्र-छात्राएं कक्षाओं में शामिल हो गए हैं।

हरियाणा के फतेहाबाद से अपनी बेटी के साथ आए संजीव बंसल ने इस बात पर गर्व जताया कि उनकी बेटी अपने गृहनगर से बाहर शिक्षा प्राप्त कर रही है। उदय सैनी की मां राधा सैनी ने हंसराज कॉलेज में अर्थशास्त्र ऑनर्स में दाखिला मिलने पर राहत जताई।

बता दें कि सीयूईटी के नतीजों में देरी की वजह से कई अभिभावकों में तनाव पैदा हो गया था, उन्हें डर था कि उन्हें निजी कॉलेजों में ज्यादा फीस देनी पड़ सकती है। इस स्थिति की वजह से आवास की तलाश में भी भीड़ उमड़ पड़ी, कई छात्र और अभिभावक कॉलेज के नजदीक आवास की तलाश करते देखे गए।

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दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस साल अपने 69 कॉलेजों में 65,000 से ज्यादा छात्रों को दाखिला दिया है। विश्वविद्यालय 1,500 से ज्यादा प्रोग्राम ऑफर करता है, जिसमें कुल 71,600 सीटें हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली के प्रेम प्रसाद ने खुशी जताई कि उनकी बेटी यशवी को मिरांडा कॉलेज में गणित में बीएससी करने का मौका मिला है।

मिरांडा कॉलेज में इतिहास में स्नातक की पढ़ाई के लिए आई हर्षिता चौहान ने कहा कि वह महिला कॉलेज में खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं। हालांकि, सभी आगमन सहज नहीं थे। हल्द्वानी से अपनी बेटी को दौलत राम कॉलेज छोड़ने आई तारा को आवास की समस्या का सामना करना पड़ा और उन्हें अपना सामान कॉलेज में ही रखना पड़ा। तारा ने कहा, "मैं समय पर यहां नहीं पहुंच पाई और आवास की कमी के कारण अपना सामान भी कॉलेज में ही छोड़ना पड़ा।"

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