आईआईटी इंदौर पीओपी तकनीकी से बना रहा स्मार्ट ग्लास, गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म बने रहेंगे भवन

Press Trust of India | July 29, 2025 | 02:23 PM IST | 2 mins read

आईआईटी इंदौर के रसायन विज्ञान विभाग के अनुसंधानकर्ता डॉ. सायंतन सरकार ‘ट्रांसलेशनल रिसर्च फैलोशिप’ (टीआरएफ) के तहत बिजली से चलने वाला ‘स्मार्ट ग्लास’ बनाने की परियोजना पर काम कर रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि इस ‘स्मार्ट ग्लास’ को कमरों के परदों की जगह लगाया जा सकता है। (स्त्रोत-आधिकारिक एक्स)
अधिकारियों ने बताया कि इस ‘स्मार्ट ग्लास’ को कमरों के परदों की जगह लगाया जा सकता है। (स्त्रोत-आधिकारिक एक्स)

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर (IIT Indore) में विशेष ‘पोरस ऑर्गेनिक पॉलीमर’ (POP) की मदद से ‘स्मार्ट ग्लास’ विकसित किया जा रहा है। आईआईटी इंदौर द्वारा तैयार स्मार्ट ग्लास खिड़कियों के इस्तेमाल का तरीका बदल कर पर्यावरण हितैषी इमारतों के निर्माण में मदद कर सकता है। अधिकारियों ने मंगलवार, 25 जुलाई को यह जानकारी दी है।

अधिकारियों ने बताया कि आईआईटी इंदौर के रसायन विज्ञान विभाग के अनुसंधानकर्ता डॉ. सायंतन सरकार ‘ट्रांसलेशनल रिसर्च फैलोशिप’ (टीआरएफ) के तहत बिजली से चलने वाला ‘स्मार्ट ग्लास’ बनाने की परियोजना पर काम कर रहे हैं।

इस परियोजना को रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर सुमन मुखोपाध्याय और भौतिकी विभाग के प्रोफेसर राजेश कुमार के मार्गदर्शन में आगे बढ़ाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि यह ‘स्मार्ट ग्लास’ नए विकसित ‘वायलोजन’ पर आधारित पीओपी की मदद से तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 'स्मार्ट ग्लास' अपने माध्यम से गुजरने वाले सूर्य के प्रकाश और ऊष्मा की मात्रा नियंत्रित कर सकता है।

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अधिकारियों ने बताया, ‘‘सबसे खास बात है कि ‘स्मार्ट ग्लास’ बिजली के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया के चलते अपना रंग और पारदर्शिता का स्तर बदल सकता है। नतीजतन किसी कमरे में सूर्य के प्रकाश और ऊष्मा के प्रवेश की तीव्रता को जरूरत के मुताबिक नियंत्रित किया जा सकता है। इससे किसी इमारत को गर्मियों में ठंडी और सर्दियों में गर्म रखा जा सकता है।’’

आगे कहा कि यह ‘स्मार्ट ग्लास’ एयर कंडीशनर और बिजली से चलने वाले प्रकाश उपकरणों की जरूरत घटाकर ऊर्जा बचाने में भी मदद करता है जिससे कार्बन उत्सर्जन में जाहिर तौर पर कटौती होगी।

उन्होंने बताया, “इस ‘स्मार्ट ग्लास’ को कमरों के परदों की जगह लगाया जा सकता है और भविष्य में यह खिड़की की पारंपरिक प्रणालियों की जगह ले सकता है। इससे पर्यावरण हितैषी भवन बनाने में मदद मिल सकती है।’’

अधिकारियों ने बताया कि इस ‘स्मार्ट ग्लास’ के बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक उत्पादन के वास्ते उद्योग जगत के भागीदारों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।

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