Delhi School News: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों को अपने माता-पिता को खोने वाले छात्रों की सहायता का आदेश दिया

मार्च 2020 के बाद से माता-पिता को खोने वाले छात्रों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) या वंचित समूह श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।

इस पहल का उद्देश्य अनाथ बच्चों को शैक्षिक सहायता प्रदान करना है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Abhay Pratap Singh | September 1, 2024 | 04:20 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली शिक्षा विभाग ने एक परिपत्र जारी कर सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिया है कि मार्च 2020 के बाद अनाथ हुए या अपने माता-पिता में से किसी एक को खोने वाले छात्रों की शिक्षा जारी रखना सुनिश्चित करें। माता-पिता की मौत कोविड-19 या अन्य कारणों से ही क्यों न हुई हो।

परिपत्र में कहा गया है कि जिन छात्रों ने मार्च 2020 के बाद से माता-पिता (एक या दोनों) को खो दिया है, उन्हें ईडब्ल्यूएस या वंचित समूह श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। निजी स्कूल प्राथमिक स्तर तक के छात्रों की फीस की प्रतिपूर्ति के लिए शिक्षा निदेशालय, दिल्ली से दावा कर सकते हैं।

दिल्ली शिक्षा विभाग द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, ‘जिला शिक्षा उपनिदेशकों (DDE) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि ये छात्र बिना किसी रुकावट के अपनी शिक्षा जारी रख सकें। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) या सरकार द्वारा आवंटित भूमि पर संचालित स्कूलों को तुरंत इन छात्रों को निःशुल्क शिक्षा श्रेणी में रखना होगा।’

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परिपत्र में यह भी कहा गया कि कक्षा 8 की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए मार्गदर्शन और सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी शिक्षा निर्बाध रूप से जारी रहे।

दिल्ली एजुकेशन डिपॉर्टमेंट द्वारा जारी इस निर्देश का उद्देश्य अनाथ या माता-पिता में से किसी एक को खोने वाले विद्यार्थियों को निजी, गैर-सहायता प्राप्त और सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करना है।

आदेश में इस बात पर जोर दिया गया है कि सभी जिला डीडीई यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं कि इन मामलों का शीघ्र समाधान किया जाए तथा स्कूल, क्षेत्रीय या जिला स्तर पर इसमें देरी न हो। यह पहल कोविड महामारी के दौरान और उसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शैक्षिक सहायता प्रदान करने के दिल्ली सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।

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