CBSE Exam Pattern Change: सीबीएसई ने बदला 11वीं-12वीं का परीक्षा पैटर्न, नहीं होंगे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Santosh Kumar | April 5, 2024 | 12:23 PM IST | 2 mins read

सीबीएसई का कहना है कि 11वीं और 12वीं कक्षा में दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों की जगह अब कॉन्सेप्ट आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे। परीक्षा पैटर्न वर्ष 2024-25 से लागू कर दिया गया है।

सीबीएसई ने एनईपी के तहत बदला परीक्षा का पैटर्न (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से कक्षा 11वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में बदलाव करने का फैसला किया है। बोर्ड ने अब परीक्षाओं में दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों को हटाने का निर्णय लिया है। सीबीएसई ये बदलाव नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत कर रही है। शिक्षा मंत्रालय का तर्क है कि इससे बच्चों में उत्तर याद रखने की प्रवृत्ति खत्म होगी और सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा।

सीबीएसई द्वारा जारी नया परीक्षा पैटर्न वर्ष 2024-25 से लागू कर दिया गया है। सीबीएसई का कहना है कि 11वीं और 12वीं कक्षा में दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों की जगह कॉन्सेप्ट आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे। फिलहाल सीबीएसई ने यह फॉर्मेट केवल 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए लागू किया है। इसके अलावा बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि यह बदलाव केवल 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए है।

सीबीएसई ने कक्षा 9वीं और 10वीं के परीक्षा पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया है। बोर्ड के मुताबिक 11वीं और 12वीं कक्षा के परीक्षा पैटर्न में बदलाव नई शिक्षा नीति 2020 के आधार पर किया गया है। नई शिक्षा नीति के मुताबिक परीक्षा पैटर्न में संशोधन किया गया है।

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CBSE Exam Pattern Change: बोर्ड बना रहा नया इकोसिस्टम

सीबीएसई के निदेशक जोसेफ इमैनुएल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, सीबीएसई ने स्कूलों में योग्यता-आधारित शिक्षा का उपयोग करने के लिए कदम उठाए हैं। बोर्ड ने बहुविकल्पीय प्रश्नों यानी एमसीक्यू और कौशल आधारित प्रश्नों की संख्या 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी है। जबकि लघु एवं दीर्घ उत्तरीय सहित अन्य प्रश्नों का प्रतिशत 40 से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है।

जोसेफ इमैनुएल ने आगे कहा कि सीबीएसई स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक इको-सिस्टम बना रहा है, जिसका उद्देश्य याद करने के बजाय सीखने पर जोर देना है। इस नए इकोसिस्टम के जरिए छात्रों की रचनात्मक सोच और क्षमताओं का विकास किया जाएगा, ताकि वे 21वीं सदी की चुनौतियों से निपट सकें।

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