Classical Language: शिक्षाविदों ने बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र के फैसले की सराहना की

भाषाविद् नृसिंह प्रसाद भादुड़ी ने कहा कि बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाओं में इस भाषा का इस्तेमाल बढ़ेगा।

केंद्र सरकार आगामी दिनों में बांग्ला भाषा को उचित पहचान दिलाने के लिए काम करेगी। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
केंद्र सरकार आगामी दिनों में बांग्ला भाषा को उचित पहचान दिलाने के लिए काम करेगी। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | October 6, 2024 | 01:14 PM IST

नई दिल्ली: बंगाली पहचान एवं संस्कृति को बढ़ावा देने वाले समूहों और शिक्षाविदों ने बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र के फैसले की सराहना की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इससे आधिकारिक संचार एवं परीक्षाओं में बांग्ला का अधिक उपयोग हो सकेगा।

प्रख्यात भारतविद् (इंडोलॉजिस्ट) और भाषाविद् नृसिंह प्रसाद भादुड़ी ने कहा कि बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाओं में इस भाषा का इस्तेमाल बढ़ेगा, विज्ञान एवं अर्थशास्त्र में इस्तेमाल होने वाले अंग्रेजी शब्दों के समानार्थी शब्दों का अधिक प्रयोग होगा तथा विद्यार्थी अपनी परीक्षाओं में इन बांग्ला समानार्थी शब्दों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

भादुड़ी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने और अन्य शिक्षाविदों ने मुख्यमंत्री का ध्यान इस तथ्य की ओर खींचा कि बांग्ला का हजारों साल पुराना इतिहास होने के बावजूद इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है।

Bangla Classical Language -

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘राज्य सरकार ने इस संबंध में जल्द ही कई दस्तावेज प्रस्तुत किए और छह-सात महीने की अवधि में मान्यता मिल गई।’’ बंगालियों की पहचान, उनकी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे संगठन ‘बांग्ला पोक्खो’ के महासचिव गार्गा चटर्जी ने कहा, ‘‘बांग्ला को मान्यता मिलने से हम खुश हैं, लेकिन यह काम काफी समय से लंबित था।’’उन्होंने कहा, ‘‘पूरी दुनिया बांग्ला भाषा की अहमियत से अवगत है। ऐसा लगता है कि अब तक केवल केंद्र ही इस बात से अनभिज्ञ था।’’

Bangla Language -

चटर्जी ने बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए मुख्यमंत्री बनर्जी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद अधीर चौधरी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हमारी लड़ाई तब सार्थक होगी जब अखिल भारतीय स्तर पर बांग्ला भाषा का इस्तेमाल संस्थागत रूप से किया जाएगा। हमने केंद्रीय बलों में भर्ती के लिए बांग्ला में परीक्षा आयोजित किए जाने का अधिकार पहले ही हासिल कर लिया है। आठवीं अनुसूची के अनुसार, हर भाषा को समान अधिकार मिलना चाहिए। अब हम इसके प्रभावी क्रियान्वयन की उम्मीद करते हैं।’’

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Bengali Classical Language -

उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार आगामी दिनों में बांग्ला भाषा को उचित पहचान दिलाने के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘अन्यथा हम आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन शुरू करेंगे।’’ ‘भाषा अध्ययन संस्थान’ (आईएलएस) के शोधकर्ताओं में शामिल विशेषज्ञ अमिताव दास ने कहा कि इस सम्मान के लिए मानदंड यह साबित करना है कि भाषा 1500-2000 साल पुरानी है। राज्य शिक्षा विभाग ने आईएलएस को यह साबित करने का काम सौंपा था।

शहर में स्थित केके दास कॉलेज की वरिष्ठ प्रोफेसर अंजना भद्रा ने उम्मीद जताई कि बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद केंद्र की पहल पर बांग्ला भाषा में शोध और अध्ययन जारी रखने के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जाएगी।

ममता बनर्जी ने बांग्ला को यह दर्जा दिए जाने की मंजूरी मिलने के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा था, ‘‘मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने अंतत: बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे दिया है।’’

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उन्होंने कहा था, ‘‘हम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से यह दर्जा प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे और हमने अपने दावे के पक्ष में शोध निष्कर्षों के तीन खंड प्रस्तुत किए थे। केंद्र सरकार ने आज शाम हमारे शोधपूर्ण दावे को स्वीकार कर लिया है और हम अंततः भारत में भाषाओं के समूह में सांस्कृतिक शिखर पर पहुंच गए हैं।’’ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

केंद्र सरकार ने कहा था कि शास्त्रीय भाषाएं भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, तथा प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सार को प्रस्तुत करती हैं। भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को ‘‘शास्त्रीय भाषा’’ के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया, जिसके तहत तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया तथा उसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

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