2023 में 10वीं-12वीं में 65 लाख छात्र फेल; शिक्षा मंत्रालय ने जारी किए राज्य बोर्डों के चिंताजनक आंकड़े

कक्षा 10 में सबसे ज्यादा छात्र मध्य प्रदेश बोर्ड से फेल हुए, उसके बाद बिहार और यूपी का नंबर आता है। जबकि कक्षा 12 में सबसे ज्यादा छात्र उत्तर प्रदेश से फेल हुए।

अधिकारी ने कहा, "पिछले साल की तुलना में 2023 में छात्रों के समग्र प्रदर्शन में गिरावट आई है।" (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

Press Trust of India | August 21, 2024 | 10:55 PM IST

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय (एमओई) के अधिकारियों ने आज यानी 21 अगस्त को 2023 की बोर्ड परीक्षाओं से जुड़े कुछ चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक, पिछले साल देशभर में 65 लाख से ज्यादा छात्र कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में फेल हुए हैं। राज्य बोर्डों में फेल होने की दर राष्ट्रीय बोर्डों से ज्यादा थी।

56 राज्य बोर्डों और 3 राष्ट्रीय बोर्डों सहित 59 स्कूल बोर्डों के कक्षा 10 और कक्षा 12 के परिणामों के विश्लेषण से पता चला कि सरकारी स्कूलों से कक्षा 12 की परीक्षा में अधिक छात्राएं शामिल हुईं, लेकिन निजी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में यह आंकड़ा विपरीत था।

शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि कक्षा 10 के करीब 33.5 लाख छात्रों को अगली कक्षा में नहीं भेजा गया। इनमें से 5.5 लाख ने परीक्षा नहीं दी और 28 लाख अनुत्तीर्ण रहे। इसी तरह, कक्षा 12 के करीब 32.4 लाख छात्रों ने भी कक्षा पूरी नहीं की। इनमें से 5.2 लाख ने परीक्षा नहीं दी और 27.2 लाख अनुत्तीर्ण रहे।

कक्षा 10 में केंद्रीय बोर्ड में छात्रों की असफलता दर 6 प्रतिशत थी जबकि राज्य बोर्ड में यह दर 16 प्रतिशत थी। कक्षा 12 में केंद्रीय बोर्ड में असफलता दर 12 प्रतिशत है जबकि राज्य बोर्ड में यह दर 18 प्रतिशत है। मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि दोनों कक्षाओं में ओपन स्कूलों का प्रदर्शन खराब रहा।

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कक्षा 10 में सबसे ज्यादा छात्र मध्य प्रदेश बोर्ड से फेल हुए, उसके बाद बिहार और यूपी का नंबर रहा। जबकि कक्षा 12 में सबसे ज्यादा छात्र उत्तर प्रदेश से फेल हुए, उसके बाद मध्य प्रदेश का नंबर रहा। अधिकारी ने आगे कहा, "पिछले साल की तुलना में 2023 में छात्रों के समग्र प्रदर्शन में गिरावट आई है। यह परीक्षा के लिए बड़े पाठ्यक्रम के कारण हो सकता है।"

अधिकारी ने यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों से कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों की तुलना में अधिक लड़कियां शामिल हुईं। अधिकारी ने कहा, "यह माता-पिता द्वारा शिक्षा पर खर्च के मामले में लैंगिक पक्षपात को दर्शाता है।" इसके बावजूद, सभी प्रबंधन संस्थानों में उत्तीर्ण प्रतिशत के मामले में लड़कियों का दबदबा रहा - निजी स्कूलों से 87.5 प्रतिशत लड़कियां कक्षा 12 में उत्तीर्ण हुईं, जबकि 75.6 प्रतिशत लड़के उत्तीर्ण हुए।

कक्षा 10 में, बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले लगभग 18.5 मिलियन छात्रों में से 84.9 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए। हालांकि, लगभग 33.5 लाख छात्र फेल होने या अनुपस्थित रहने के कारण कक्षा 11 में आगे नहीं बढ़ पाए, जिससे उनकी दर कम रही।

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