UP Madarsa News: यूपी में मदरसा छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजने का आदेश, जमीयत ने बताया असंवैधानिक
26 जून को जारी इस पत्र में यह भी कहा गया था कि प्रदेश के सभी ऐसे मदरसे जो यूपी मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त नहीं हैं, उनमें पढ़ने वाले सभी बच्चों को भी परिषदीय स्कूलों में दाखिला दिया जाए।
Press Trust of India | July 12, 2024 | 01:44 PM IST
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के लिए एक आदेश जारी किया है। आदेश में राज्य सरकार ने सभी गैर-मुस्लिम छात्रों और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने को कहा है। मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह आदेश 'असंवैधानिक' है और इसे वापस लेने की भी मांग की है।
प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने हाल ही में प्रदेश के सभी डीएम को एक आदेश जारी किया था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के 7 जून के पत्र का हवाला देते हुए आदेश में सभी सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में दाखिला देने का आदेश दिया है।
26 जून को जारी इस पत्र में यह भी कहा गया था कि प्रदेश के सभी ऐसे मदरसे जो यूपी मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त नहीं हैं, उनमें पढ़ने वाले सभी बच्चों को भी परिषदीय स्कूलों में दाखिला दिया जाए। इस पूरी प्रक्रिया के लिए डीएम ने जिला स्तर पर एक कमेटी गठित करने के भी आदेश दिए हैं।
जमीयत ने किया आदेश का विरोध
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ उत्तर प्रदेश और निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण को पत्र लिखकर इस 'असंवैधानिक' कार्रवाई से बचने की अपील की है।
उन्होंने कहा, "इस आदेश से हजारों मदरसे प्रभावित होंगे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग धर्म के आधार पर बच्चों को अनुदानित मदरसों से अलग करने का फैसला नहीं दे सकता। यह धर्म के नाम पर विभाजनकारी काम है। शिक्षा का चुनाव बच्चों और उनके अभिभावकों की इच्छा का मामला है। कोई भी राज्य लोगों से शिक्षा चुनने का अधिकार नहीं छीन सकता।"
मौलाना मदनी ने कहा, "यूपी सरकार को यह समझना चाहिए कि मदरसों की एक अलग कानूनी पहचान और दर्जा है, जैसा कि मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 1(5) के तहत इस्लामी मदरसों को दी गई छूट से मान्यता प्राप्त है। इसलिए जमीयत मांग करती है कि इस आदेश को वापस लिया जाए।"
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- DUSU Election 2024: डूसू चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव पद के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी
- Top 10 Engineering Colleges: भारत के टॉप 10 सबसे सस्ते इंजीनियरिंग कॉलेज कौन से हैं? पात्रता और शुल्क जानें
- NEET PG 2024 Results: नीट पीजी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 20 सितंबर को सुनवाई, मानसिक तनाव से जूझ रहे छात्र
- जीएसवी और मोनाश विवि ऑस्ट्रेलिया ने रेलवे इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं शिक्षा में सहयोग के लिए एमओयू साइन किया
- Rajasthan News: राजस्थान में पांच वर्षों में 10 लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार - मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
- DU UG Admission 2024: डीयू यूजी स्पॉट राउंड 1 पंजीकरण आज से admission.uod.ac.in पर शुरू, अंतिम तिथि 19 सितंबर
- UP DElEd Admission 2024: यूपी डीएलएड पंजीकरण updeled.gov.in पर आज से शुरू, 9 अक्टूबर तक करें आवेदन
- Melbourne University ने दिल्ली में खोला अपना पहला ग्लोबल सेंटर, शैक्षिक सहयोग को मिलेगा बढ़ावा
- CGBSE 10th Supplementary Result 2024: सीजीबीएसई 10वीं सप्लीमेंट्री रिजल्ट cgbse.nic.in पर जारी
- NEET MDS 2024 Cutoff: नीट एमडीएस की खाली सीटों को भरने के लिए कट-ऑफ अंक में 21.692 पर्सेंटाइल की कमी