Saurabh Pandey | September 5, 2025 | 07:36 AM IST | 2 mins read
शिक्षक दिवस भारत के दूसरे राष्ट्रपति और महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर मनाया जाता है। शिक्षक सिर्फ किताबों का पाठ पढ़ाने वाले नहीं होते, बल्कि वे मार्गदर्शक, प्रेरक और हमारे सपनों को आकार देने वाले निर्माता होते हैं।
नई दिल्ली : देश भर में आज यानी 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। कहते हैं कि शिक्षक केवल किताबें नहीं पढ़ाते, वे जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। एक अच्छा शिक्षक वह है जो अंधेरे में भी अपने शिष्य को राह दिखा दे।
शिक्षकों और समाज में उनके योगदान के सम्मान में हर साल 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन प्रख्यात दार्शनिक, शिक्षक और राजनेता डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती का भी प्रतीक है, जिन्होंने भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
डॉ. राधाकृष्णन को नोबेल पुरस्कार के लिए 27 बार नामांकित किया गया था। इनमें 16 बार साहित्य के लिए और 11 बार शांति के लिए। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में भारतीय दर्शन, उपनिषदों का दर्शन और "जीवन का एक आदर्शवादी दृष्टिकोण शामिल हैं।
शिक्षक केवल किताबें नहीं पढ़ाते, वे जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं।
एक अच्छा शिक्षक वह है जो अंधेरे में भी अपने शिष्य को राह दिखा दे।
ज्ञान का दीपक जलाना ही शिक्षक का सबसे बड़ा योगदान है।
शिक्षक वह है, जो विश्वास दिलाता है कि हर सपना पूरा हो सकता है।
विद्या का असली मंदिर गुरु का हृदय होता है।
सच्चा गुरु वह है जो हमें केवल उत्तर नहीं सिखाता, बल्कि सवाल पूछना भी सिखाता है।
शिक्षक छात्रों की जड़ों को मजबूत करते हैं, ताकि वे भविष्य में ऊँचाइयाँ छू सकें।
गुरु की सीख समय के साथ और अधिक कीमती होती जाती है।
एक अच्छा शिक्षक वह है जो किताब बंद होने के बाद भी जीवन का पाठ पढ़ा दे।
गुरु का आशीर्वाद ही जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है।
शिक्षाविद और विद्वान, डॉ. राधाकृष्णन शिक्षा और शिक्षकों के महत्व में विश्वास करते थे। जब उनके छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा व्यक्त की, तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक सुझाव दिया कि इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। 1962 से, भारत इस परंपरा को जारी रखे हुए है और शिक्षकों के समर्पण और सेवा के लिए उन्हें पूरे देश में सम्मानित करता है।