SSC Exams: नई नॉर्मलाइजेशन पद्धति पर आयोग का व्याख्यात्मक नोट जारी, अभ्यर्थियों को दी गई विस्तृत जानकारी

Santosh Kumar | September 10, 2025 | 06:14 PM IST | 2 mins read

एसएससी की नई सामान्यीकरण पद्धति जून 2025 से अधिसूचित सभी कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षाओं पर लागू होगी।

आयोग ने आधिकारिक वेबसाइट ssc.gov.in पर एक विस्तृत व्याख्यात्मक नोट जारी किया है। (इमेज-आधिकारिक वेबसाइट)

नई दिल्ली: कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने अपनी आगामी परीक्षाओं के लिए नई नॉर्मलाइजेशन पद्धति लागू करने की घोषणा की है। इस संबंध में, आयोग ने एक विस्तृत व्याख्यात्मक नोट जारी किया है, जिसमें उम्मीदवारों को नई प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी गई है। यह नई पद्धति जून 2025 से अधिसूचित सभी एसएससी परीक्षाओं पर लागू होगी। इसका उद्देश्य विभिन्न पालियों में आयोजित परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों की कठिनाई के स्तर में अंतर को समायोजित करना और सभी उम्मीदवारों के लिए निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित करना है।

जारी नोटिस के अनुसार, जब परीक्षा कई पालियों में आयोजित की जाती है, तो कुछ शिफ्ट आसान और कुछ कठिन होती हैं। ऐसे में सभी अभ्यर्थियों के साथ समानता बनाए रखने के लिए अंकों का सामान्यीकरण किया जाता है।

ये अंक दर्शाते हैं कि उम्मीदवार ने अपनी पाली और अन्य सभी पाली के छात्रों की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया। सामान्यीकरण प्रक्रिया का उपयोग उन परीक्षाओं में किया जाता है जो एक से अधिक पाली में आयोजित की जाती हैं।

SSC Exams: सामान्यीकरण की पिछली पद्धति

पहले, उम्मीदवारों के अंकों को उनकी पाली के शीर्ष अंक और औसत अंक देखकर समायोजित किया जाता था। किसी उम्मीदवार का नया अंक यह दिखाता था कि उसने अपनी ही पाली के साथ-साथ अन्य पालियों के उम्मीदवारों के मुकाबले कितना अच्छा किया।

सामान्यीकरण की यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में प्रभावी है कि कठिन पाली में बैठने वाले उम्मीदवारों को अनुचित रूप से नुकसान न हो, और सभी के अंकों की निष्पक्ष रूप से तुलना की जा सके, चाहे वे किसी भी पाली में उपस्थित हुए हों।

सामान्यीकरण के प्रभाव का मूल्यांकन करने के बाद, आयोग ने सामान्यीकरण की एक नई प्रक्रिया अपनाई है जो इक्विपरसेंटाइल पद्धति पर आधारित है। इस पद्धति का विवरण 2 जून, 2025 की सूचना द्वारा प्रकाशित किया गया है।

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SSC Exams: नॉर्मलाइजेशन की नई पद्धति

इक्विपरसेंटाइल प्रणाली में उम्मीदवारों के अंकों को सीधे तुलना करने के बजाय प्रत्येक शिफ्ट में उम्मीदवारों के रैंक या पर्सेंटाइल पर विचार किया जाता है। उम्मीदवार का नया अंक इस बात पर आधारित होता है कि उसने अपनी पाली में कितने लोगों से बेहतर प्रदर्शन किया।

उदाहरण के लिए, जिस उम्मीदवार ने एक पाली में 80% से अधिक परीक्षार्थियों से बेहतर अंक प्राप्त किए हैं, उसका मिलान उस उम्मीदवार से किया जाएगा जिसने दूसरी पाली में 80% से अधिक परीक्षार्थियों से बेहतर अंक प्राप्त किए हैं।

इस तरह, हर शिफ्ट के उम्मीदवारों की निष्पक्ष तुलना की जाती है, भले ही दोनों शिफ्टों का कठिनाई स्तर अलग-अलग हो। इस प्रकार नई पद्धति यह सुनिश्चित करती है कि जिन अभ्यर्थियों को एक पाली में विषय-वस्तु से संबंधित कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा, उन्हें अन्य पाली के अभ्यर्थियों की तुलना में अनुचित रूप से रैंक नहीं दी जाएगी, जिन्हें समान समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा।

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