छात्र 11 अगस्त से अपनी मांगों को लेकर जेएनयू प्रशासन की कथित गैर-जिम्मेदारी रवैया के खिलाफ परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
Press Trust of India | August 18, 2024 | 11:26 AM IST
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) का अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शनिवार को छठे दिन भी जारी रहा। इस दौरान हड़ताल पर बैठे कई छात्रों का स्वास्थ्य खराब हो गया। छात्र 11 अगस्त से अपनी मांगों पर जेएनयू प्रशासन की कथित गैर-जिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ परिसर में भूख हड़ताल कर रहे हैं।
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने कहा कि प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा उठाई गई कुछ मांगों को वित्तीय संकट के कारण स्वीकार नहीं किया जा सकता, जबकि अन्य मांगों के लिए अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है और ये उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।
पंडित ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “जेएनयू में फिलहाल कोई आधिकारिक रूप से अधिसूचित छात्र संघ नहीं है। इसलिए उन्हें सबसे पहले उच्च न्यायालय से इसकी अधिसूचना प्राप्त करनी चाहिए (क्योंकि 2019 जेएनयूएसयू परिणाम का मामला न्यायालय में विचाराधीन है)।”
उन्होंने कहा कि दूसरी बात, छात्रों ने जो मांगें उठाई हैं उन्हें स्वीकार करना व्यावहारिक रूप से असंभव है। वे चाहते हैं कि मैं एमसीएम स्कॉलरशिप बढ़ाऊं, लेकिन हम जिस धनराशि की कमी का सामना कर रहे हैं, उसे देखते हुए मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं।
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एक बयान में जेएनयूएसयू ने दावा किया कि छात्र संघ के अध्यक्ष धनंजय पहले से पीलिया के लक्षण से ग्रसित हैं और उनकी हालत गंभीर है, क्योंकि भूख हड़ताल छठे दिन में प्रवेश कर चुकी है। रणविजय (हड़ताल पर बैठा छात्र) में गंभीर रूप से कमजोरी और पानी की कमी हो गई है। शुभम (एक अन्य प्रदर्शनकारी) टाइफाइड से पीड़ित है, जिसके कारण उसे तेज बुखार है और नाड़ी की गति गंभीर रूप से कम हो गई है।”
बयान में शिकायत की गई है कि कुलपति ने प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकात नहीं की है जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने दावा किया है कि नियमित रूप से छात्रों की जांच की जा रही है और उनसे भूख हड़ताल समाप्त करने का आग्रह किया जा रहा है।
कुलपति के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए धनंजय ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा कि, “यह दुखद है कि पिछले छह दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों के स्वास्थ्य के बारे में उन्हें (कुलपति) कोई चिंता नहीं है। उन्होंने हमसे एक बार भी मुलाकात नहीं की, इसके बजाय उनका ध्यान हमें बदनाम करने पर है।”
छात्र मेरिट-कम-मीन्स (एमसीएम) छात्रवृत्ति को बढ़ाकर कम से कम 5,000 रुपये करने, बराक छात्रावास (जो फरवरी में उद्घाटन के बाद से बंद पड़ा है) को खोलने और मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय (सीपीओ) नियमावली को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इसके तहत परिसर में विरोध प्रदर्शन करने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है।