IIT संस्थानों ने आरक्षित श्रेणी के छात्रों के लिए उठाए कई कदम, शुल्क और कट-ऑफ में छूट

आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटी ने कहा कि जेईई-आधारित प्रवेश में, आवेदन चरण से ही शुल्क में छूट और शुल्क माफी प्रदान की जाती है।

आईआईटी मद्रास ने इस वर्ष आईआईटी के लिए प्रवेश परीक्षा, जेईई एडवांस्ड का आयोजन किया था। (इमेज-विकिमीडिया कॉमन्स)

Press Trust of India | October 18, 2024 | 08:41 PM IST

नई दिल्ली: देश भर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) आरक्षित श्रेणी के छात्रों के लिए कट-ऑफ और फीस में छूट दे रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, इसका उद्देश्य सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है। इस पहल के तहत, आरक्षित श्रेणियों के छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया में कम कट-ऑफ और फीस में छूट दी जा रही है ताकि उच्च शिक्षा तक उनकी पहुंच आसान हो सके।

आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटी ने कहा, "जेईई-आधारित प्रवेश में, आवेदन चरण से ही शुल्क में छूट और शुल्क माफी प्रदान की जाती है। आवेदन चरण में, एससी, एसटी, पीडब्ल्यूडी से संबंधित छात्रों को केवल आधी परीक्षा शुल्क का भुगतान करना होगा।

इसके अलावा, एससी, एसटी, पीडब्ल्यूडी और ओबीसी श्रेणियों में अधिक संख्या में प्रवेश के लिए कट-ऑफ में छूट दी गई है।" आईआईटी मद्रास ने इस वर्ष आईआईटी के लिए प्रवेश परीक्षा, संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई)-एडवांस्ड का आयोजन किया था।

प्रवेश के लिए छात्रों को विशेष प्रशिक्षण

कामकोटी ने कहा, "वर्तमान में 23 आईआईटी हैं और समाज के वंचित वर्गों के छात्रों को सहायता प्रदान करने के शिक्षा मंत्रालय के उद्देश्य के अनुरूप कई पहल की गई हैं। इनके अलावा, कुछ आईआईटी अपने स्तर पर अतिरिक्त उपाय भी करते हैं।"

उन्होंने कहा कि अधिकतम छात्रों को आईआईटी की उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा का लाभ मिल सके, इसके लिए एससी, एसटी के छात्र जो कट-ऑफ से कम अंक लाते हैं, उन्हें पाठ्यक्रम के माध्यम से विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।

पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद वे सीधे आईआईटी में प्रवेश ले सकते हैं। इस वर्ष से जेईई (एडवांस्ड) 2024 की टीम ने देशभर में "नागरिक सेवा केंद्र" शुरू किए हैं, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के अभ्यर्थियों को विकल्प भरने और फीस का भुगतान करने में मदद मिल सके।

अभ्यर्थियों के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए एक बहुभाषी कॉल सेंटर भी स्थापित किया गया है। इस वर्ष शुल्क भुगतान की अंतिम तिथि के बाद रिकॉन्सिलिएशन डे की शुरुआत की गई थी, ताकि अंतिम समय में तकनीकी गड़बड़ियों से निपटा जा सके।

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ऐसे छात्रों को ट्यूशन फीस में छूट

कामकोटी ने कहा कि पहले सीट स्वीकृति शुल्क नहीं था, इसलिए अभ्यर्थी सीट ब्लॉक कर देते थे, लेकिन क्लास में नहीं आते थे, जिससे सीटें खाली रह जाती थीं। एससी और एसटी आरक्षित सीटें केवल उन्हें ही मिल पाती थीं, जिससे अन्य योग्य छात्रों को आईआईटी सीटें नहीं मिल पाती थीं।

उन्होंने कहा, "यदि किसी छात्र के माता-पिता की आय 1 लाख रुपये से कम है, तो उसकी सभी 23 आईआईटी में ट्यूशन फीस माफ कर दी जाती है, चाहे वह किसी भी श्रेणी का हो। इसके अलावा, एससी, एसटी और दिव्यांग छात्रों को भी पूरी ट्यूशन फीस माफ की जाती है।"

उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के उन विद्यार्थियों के लिए जिनके अभिभावकों की आय 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच है, उनकी ट्यूशन फीस का दो-तिहाई हिस्सा माफ कर दिया जाता है।

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