JEE Main 2025 Shift 1 Analysis: जेईई मेन 4 अप्रैल शिफ्ट 1 पेपर का कठिनाई स्तर मध्यम, जानें विषयवार विश्लेषण
जेईई मेन सत्र 2 पेपर 1 बीई/बी.टेक परीक्षा अब 7, 8 अप्रैल को होगी। एनटीए 9 अप्रैल को पेपर 2 बी.आर्क, बी.प्लानिंग परीक्षा आयोजित करेगा।
Santosh Kumar | April 4, 2025 | 03:23 PM IST
नई दिल्ली: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित जेईई मेन 2025 सेशन 2 के तीसरे दिन की पहली शिफ्ट का पेपर खत्म हो गया है। शिफ्ट 1 सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक 3 घंटे की अवधि में आयोजित की गई। जेईई मेन अप्रैल 4 शिफ्ट 1 का पेपर कुल मिलाकर मध्यम रूप से कठिन रहा। छात्रों को गणित का सेक्शन लंबा और चुनौतीपूर्ण लगा। वहीं केमिस्ट्री और फिजिक्स दोनों ही मध्यम रही।
करियर 360 के विशेषज्ञों के अनुसार, जेईई मेन 4 अप्रैल की पहली शिफ्ट के पेपर में सेमीकंडक्टर चैप्टर से केवल एक प्रश्न आया। पूरा पेपर सिलेबस के अंदर से था, जल्द ही विशेषज्ञ और कोचिंग संस्थान इसकी उत्तर कुंजी जारी करेंगे।
JEE Main 2025 Shift 1 Analysis: छात्रों की प्रतिक्रिया
छात्रों की प्रतिक्रिया के अनुसार, पहली पाली का जेईई मेन पेपर जनवरी 2025 सत्र की तुलना में थोड़ा अधिक संतुलित था। भौतिकी और रसायन विज्ञान आसान से मध्यम स्तर के थे, जबकि गणित उम्मीदवारों को कठिन लगा।
एनटीए जेईई मेन 2025 सेशन 2 में शामिल होने वाले छात्रों के अनुसार, अब तक की परीक्षाएं कुल मिलाकर मध्यम स्तर की रही हैं। इससे पहले, जेईई मेन 3 अप्रैल की परीक्षा को भी छात्रों ने आसान से मध्यम स्तर का बताया।
जेईई मेन 2025 सत्र 2 पेपर 1 (बीई/बी.टेक) परीक्षा अब 7, 8 अप्रैल को होगी। एनटीए 9 अप्रैल को पेपर 2ए (बी.आर्क), पेपर 2बी (बी.प्लानिंग) और पेपर 2ए और 2बी (बी.आर्क और बी.प्लानिंग दोनों) आयोजित करेगा।
JEE Main 2025 Shift 1 Difficulty Level: जेईई मेन विषयवार विश्लेषण
आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड के राष्ट्रीय शैक्षणिक निदेशक (इंजीनियरिंग) अजय शर्मा के अनुसार, भौतिकी में अधिकांश प्रश्न यांत्रिकी, आधुनिक भौतिकी, इलेक्ट्रोस्टैटिक्स, प्रकाश और मापन जैसे विषयों से आए।
रसायन विज्ञान का भाग भी आसान से मध्यम स्तर का था। अधिकांश प्रश्न अकार्बनिक रसायन विज्ञान से आए थे। अधिकांश सिद्धांत प्रश्न एनसीईआरटी पुस्तक से थे। भौतिक रसायन विज्ञान में संख्यात्मक प्रश्न कम थे।
गणित का पेपर मध्यम से थोड़ा कठिन था। मैट्रिसेस, 3डी ज्योमेट्री, वेक्टर और कोनिक्स में अधिक प्रश्न थे जबकि कैलकुलस में कम प्रश्न थे। कुछ प्रश्न काफी लंबे थे, इसलिए समय का सही उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण था।
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