इस सेमिनार में 370 व्यक्तियों ने व्यक्तिगत रूप से और 110 छात्रों व एनआई/सीआरसी के शिक्षकों ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया।
Abhay Pratap Singh | January 13, 2025 | 11:55 AM IST
नई दिल्ली: भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC), नई दिल्ली ने भाषाई सशक्तिकरण सेल (LEC) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के सहयोग से ‘दुभाषिया शिक्षा और अनुसंधान: संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और भारत के परिप्रेक्ष्य’ पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। ‘इंटरप्रेटर एजुकेशन एंड रिसर्च’ पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार जेएनयू नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
दुभाषिया शिक्षा एवं अनुसंधान पर आयोजित सम्मेलन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नई पद्धतियों को बढ़ावा देना है। साथ ही, यह सहयोग बधिर समुदाय के लिए सुलभ संचार को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कार्यक्रम में डिप्लोमा इन इंडियन साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन (डीआईएसएलआई) और डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज (डीटीआईएसएल) के छात्रों/ संकाय के साथ-साथ बधिर संघों और अन्य हितधारकों के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी देखी गई।
पीआईबी के अनुसार, इस सेमिनार में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में से 370 व्यक्तियों ने व्यक्तिगत रूप से और 110 छात्रों और एनआई/सीआरसी के शिक्षकों ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। आईएसएल में सेमिनार का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।
आईएसएलआरटीसी के सहायक प्रोफेसर डॉ. अंदेशा मंगला द्वारा संचालित तकनीकी सत्र और पैनल चर्चाओं में तकनीकी नवाचार, नैतिक मानकों और दुभाषिया शिक्षा में प्रगति जैसे विषयों पर चर्चा की गई। प्रश्न-उत्तर सत्र के माध्यम से प्रतिभागियों और संसाधन व्यक्तियों के बीच बातचीत की सुविधा प्रदान की गई।
इस सेमिनार में विशिष्ट अतिथि व्याख्याता के रूप में डाॅ. ब्रेंडा निकोडेमस, प्रोफेसर एमेरिटा, गैलॉडेट यूनिवर्सिटी, यूएसए और कनाडा के विशेषज्ञ एवं सांकेतिक भाषा व्याख्या के लेखक डॉ. मार्टी टेलर शामिल हुए। दोनों ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और भारत में व्याख्यात्मक अनुसंधान, शिक्षण और नवीन पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक ज्ञान साझा किया।
‘दुभाषिया शिक्षा और अनुसंधान: संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और भारत के परिप्रेक्ष्य’ के उद्घाटन सत्र में आईएसएलआरटीसी के निदेशक कुमार राजू; जेएनयू के रेक्टर प्रो. दीपेंद्र नाथ दास; जेएनयू एलईसी के प्रमुख समन्वयक प्रो. प्रीति दास और डॉ. संदेशा रायपा-गार्बियाल, एपी, जेएनयू द्वारा जानकारीपूर्ण भाषण भी दिया गया।