स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि हमें अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए ताकि समाज और देश को लाभ मिल सके।
Santosh Kumar | January 12, 2025 | 02:12 PM IST
नई दिल्ली: भारत में हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। यह दिन युवाओं की क्षमता और योगदान को सम्मान देने के लिए बनाया जाता है। इस दिन महान दार्शनिक, आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद की जयंती भी होती है। इस दिन का महत्व युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों और कार्यों से अवगत कराना है। देशभर के स्कूल-कॉलेजों समेत विभिन्न संस्थानों में इस दिन कई कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिता आदि आयोजित की जाती हैं।
राष्ट्रीय युवा दिवस की शुरुआत 1985 में हुई, जब भारत सरकार ने 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के रूप में मनाने का फैसला किया। तब से यह दिन शैक्षणिक संस्थानों में प्रमुखता से मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि हमें अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए ताकि समाज और देश को लाभ मिल सके। हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है।
इस वर्ष इसकी थीम "टिकाऊ भविष्य के लिए युवा, लचीलेपन और जिम्मेदारी के साथ राष्ट्र को आकार दे" (Youth for a Sustainable Future Shaping the Nation with Resilience and Responsibility) है।
इस वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस की थीम है "राष्ट्र निर्माण के लिए युवा सशक्तिकरण"। रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "स्वामी विवेकानंद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।
पीएम ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हमेशा युवाओं को प्रेरित किया है। आपको बता दें कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था।
स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय के प्रसिद्ध वकील थे। नरेंद्र बचपन से ही प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। उन्हें देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त था।
1869 में 16 वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी और सफल हुए। इसके बाद उन्होंने उसी विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसी दौरान उनकी मुलाकात परमहंस महाराज से हुई, जिसके बाद वे ब्रह्म समाज से जुड़ गए।
1893 में, विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 4 जुलाई 1902 को, बेलूर के रामकृष्ण मठ में ध्यान करते हुए, स्वामी जी ने महासमाधि धारण की और पंचतत्व में विलीन हो गए।