India-Japan Academic Ties: आईआईटी रुड़की और निगाता विश्वविद्यालय जापान ने डबल पीएचडी कार्यक्रम शुरू किया

डबल पीएचडी कार्यक्रम डॉक्टरेट छात्रों को आईआईटी रुड़की एवं निगाता यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त करने में सक्षम बनाता है तथा उन्हें शैक्षणिक और अनुसंधान उत्कृष्टता के अवसर प्रदान करता है।

प्रो केके पंत और प्रो मात्सुओ मासायुकी ने एमओयू साइन किया।
प्रो केके पंत और प्रो मात्सुओ मासायुकी ने एमओयू साइन किया।

Abhay Pratap Singh | March 5, 2025 | 07:44 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (IIT Roorkee) और जापान के निगाता विश्वविद्यालय (Niigata University) ने भारत-जापान शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक डबल पीएचडी कार्यक्रम शुरू किया है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो केके पंत और निगाता विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के कुलशासक प्रो मात्सुओ मासायुकी ने इस साझेदारी के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

यह कार्यक्रम डॉक्टरेट छात्रों को आईआईटी रुड़की एवं निगाता यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त करने में सक्षम बनाता है तथा उन्हें अद्वितीय शैक्षणिक और अनुसंधान उत्कृष्टता के अवसर प्रदान करता है। यह पहल छात्रों और शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करती है, जो विविध शैक्षिक संसाधनों, विश्व स्तरीय सलाह व विद्वानों के बीच समग्र विकास को बढ़ावा देते हुए वैश्विक दृष्टिकोण तक पहुंच प्रदान करती है।

डबल उपाधि कार्यक्रम छात्रों के लिए उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान में संलग्न होने तथा भारत और जापान दोनों देशों के शैक्षणिक और वैज्ञानिक समुदायों में योगदान करने के लिए नए मार्ग खोलता है। डबल पीएचडी कार्यक्रम का उद्देश्य एआई, स्थिरता, भू - विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से ग्लोबल स्कॉलर्स को सशक्त बनाना है।

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आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो केके पंत ने कहा, “यह सहयोग वैश्विक शैक्षणिक जुड़ाव के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। डबल उपाधि कार्यक्रम छात्रों की शोध क्षमताओं को बढ़ाएगा और निगाता विश्वविद्यालय के साथ हमारे शैक्षणिक और शोध संबंधों को और मजबूत करेगा।”

निगाता विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी स्नातक स्कूल के कुलशासक प्रोफेसर मात्सुओ मासायुकी ने इस अवसर पर कहा, “हम इस कार्यक्रम पर आईआईटी रुड़की के साथ कार्य करने के लिए उत्साहित हैं, जो प्रतिभाशाली शोधकर्ताओं को पोषित करेगा और संयुक्त प्रयासों के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में योगदान देगा।”

सहयोगात्मक अनुसंधान क्षेत्र -

सहयोगात्मक अनुसंधान क्षेत्र अत्याधुनिक क्षेत्रों में फैले हुए हैं, जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग, ऊर्जा प्रणाली और नवीकरणीय प्रौद्योगिकियां, स्थिरता और जलवायु परिवर्तन, उन्नत सामग्री और नैनो प्रौद्योगिकी, भूकंप इंजीनियरिंग, जल संसाधन और जल विज्ञान, सूचना एवं संचार इंजीनियरिंग, जैव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स और स्वचालन, आपदा लचीलापन एवं शमन व भू एवं पर्यावरण विज्ञान शामिल हैं, जो संयुक्त प्रयासों के माध्यम से महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करते हैं।

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