Hijab Row: कॉलेज में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखने वाले फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर कल एससी करेगा सुनवाई

Press Trust of India | August 8, 2024 | 01:24 PM IST | 2 mins read

याचिका में कहा गया कि हिजाब बैन के चलते अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

हिजाब बैन मामला मुंबई के एक कॉलेज से जुड़ा हुआ है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
हिजाब बैन मामला मुंबई के एक कॉलेज से जुड़ा हुआ है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 9 अगस्त को सुनवाई करेगा, जिसमें मुंबई के एक कॉलेज परिसर में हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को बरकरार रखा गया है। बंबई एचसी ने 26 जून को इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एक वकील की दलीलों पर गौर किया कि आज से परीक्षा शुरू हो रही है। जिसके कारण अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को ‘ड्रेस कोड’ पर निर्देशों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

जैनब अब्दुल कय्यूम समेत याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ शुरू हो रहे हैं। इस पर सीजेआई ने कहा, ‘‘इस पर कल (शुक्रवार) को सुनवाई होगी। मैंने इसे पहले ही सूचीबद्ध कर दिया है।’’

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बंबई उच्च न्यायालय ने ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ के एनजी आचार्य एवं डीके मराठे कॉलेज द्वारा हिजाब, बुर्के और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से 26 जून को इनकार कर दिया था और कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है, जो कि शैक्षणिक संस्थान की ‘‘स्थापना और प्रशासन’’ के लिए कॉलेज के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। याचिकाकर्ताओं ने बंबई उच्च न्यायालय में दावा किया था कि यह नियम उनके धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार और निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

Bombay High Court: बंबई एचसी ने क्या कहा?

बंबई उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि हमारे विचार में कॉलेज द्वारा निर्धारित ‘ड्रेस कोड’ को याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है। बता दें कि, मौजूदा हिजाब बैन विवाद मुंबई के एक कॉलेज द्वारा लिए गए निर्णय से जुड़ा है।

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