बंबई एचसी ने एनजी आचार्य एवं डीके मराठे महाविद्यालय द्वारा हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से 26 जून को इनकार कर दिया था।
Press Trust of India | August 6, 2024 | 03:55 PM IST
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने मंगलवार को कहा कि उसने बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है, जिसमें मुंबई के एक कॉलेज में हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को बरकरार रखा गया है। बंबई उच्च न्यायालय ने ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ के एनजी आचार्य एवं डीके मराठे महाविद्यालय द्वारा हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से 26 जून को इनकार कर दिया था और कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है, जो कि शैक्षणिक संस्थान की ‘‘स्थापना और प्रशासन’’ के लिए कॉलेज के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अपील को तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस मामले के लिए पहले ही एक पीठ तय कर दी गई है और इसे जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ संभवत: बुधवार से शुरू हो जाएंगे। शीर्ष अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों द्वारा जारी किए गए ऐसे आदेशों की वैधता पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया है। उच्चतम न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने 13 अक्टूबर, 2022 को कर्नाटक में उठे हिजाब विवाद को लेकर विरोधाभासी फैसला सुनाया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तत्कालीन राज्य सरकार ने कर्नाटक के विद्यालयों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया गया था, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा था कि राज्य के विद्यालयों और महाविद्यालयों में कहीं भी हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। मौजूदा विवाद मुंबई के एक कॉलेज के निर्णय से जुड़ा है।
बंबई उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि 'ड्रेस कोड' सभी छात्राओं पर लागू है, चाहे उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो। छात्राओं ने उच्च न्यायालय का रुख कर कॉलेज द्वारा जारी उस निर्देश को चुनौती दी थी, जिसमें हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी पहनने और किसी भी तरह का बैज लगाने पर प्रतिबंध संबंधी ‘ड्रेस कोड’ को लागू किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि यह नियम उनके धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार, निजता के अधिकार और ‘‘पसंद के अधिकार’’ का उल्लंघन करता है।
अदालत ने कहा था कि वह यह नहीं समझ पा रही है कि कॉलेज द्वारा 'ड्रेस कोड' निर्धारित करने से संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन कैसे होता है। न्यायाधीशों ने कहा था, ‘‘हमारे विचार में निर्धारित 'ड्रेस कोड' को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) और अनुच्छेद 25 के तहत याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है।’’ पीठ ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि हिजाब, नकाब और बुर्का पहनना उनके धर्म का अनिवार्य हिस्सा है।