Santosh Kumar | October 8, 2025 | 05:46 PM IST | 2 mins read
प्रत्येक कॉलेज/छात्रावास/संस्थान किसी कार्यक्रम के लिए संपर्क अधिकारी नियुक्त कर सकता है, जो कार्यक्रम के दौरान हर समय उपलब्ध रहेगा।
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने सभी कॉलेजों, छात्रावासों और केंद्रों में होने वाले कार्यक्रमों और समारोहों (जैसे वार्षिक उत्सव, छात्रावास रात्रिभोज आदि) के सुरक्षित और सुचारू संचालन के लिए एक नई एडवाइजरी जारी की है। ये दिशानिर्देश दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 नवंबर, 2023 के आदेशों और दिल्ली पुलिस की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुपालन में जारी किए गए हैं।
जारी एडवाइजरी के अनुसार, विश्वविद्यालय उत्तर और दक्षिण परिसरों में किसी भी जुलूस, विरोध प्रदर्शन या कार्यक्रम के लिए दिल्ली पुलिस के साथ समन्वय स्थापित करने हेतु अलग-अलग संपर्क अधिकारी (एलओ) नियुक्त कर सकता है।
प्रत्येक कॉलेज/छात्रावास/संस्थान किसी कार्यक्रम के लिए एक एलओ नियुक्त कर सकता है, जो कार्यक्रम के दौरान हर समय उपलब्ध रहेगा और पुलिस को सभी जानकारी जैसे समय, भीड़, प्रवेश और उपस्थित लोगों की संख्या उपलब्ध कराएगा।
प्रत्येक कॉलेज/छात्रावास अपने प्रमुख आयोजनों के संबंध में सोशल मीडिया पर परामर्श जारी कर सकता है, जिसमें आयोजन की प्रकृति, समय, प्रकार, प्रवेश पास, यातायात व्यवस्था और प्रवेश/निकास का स्पष्ट उल्लेख हो।
आयोजन स्थल पर प्राथमिक चिकित्सा, एम्बुलेंस और अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। वीआईपी और सामान्य प्रवेश/निकास द्वार अलग-अलग होने चाहिए, और आपातकालीन निकास मार्गों की योजना पहले से बना ली जानी चाहिए।
किसी भी आयोजन के बारे में जानकारी, जैसे उसका प्रकार, लोगों की संख्या, उनकी आयु या समूह, आयोजन का नक्शा और अन्य विवरण, आयोजन शुरू होने से कम से कम 72 घंटे पहले स्थानीय पुलिस अधिकारी को दी जानी चाहिए।
कार्यक्रम में लोगों का सही और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करने के लिए प्रवेश और निकास द्वार, पार्किंग और अन्य महत्वपूर्ण जगहों पर पीए सिस्टम (सार्वजनिक उद्घोषणा) लगाए जा सकते हैं।
कार्यक्रम स्थल पर पर्याप्त सीसीटीवी कैमरे, प्रशिक्षित सुरक्षा गार्ड और बाउंसर लगाए जाने चाहिए। कॉलेज/संस्थान कार्यक्रम के आयोजन के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार होगा, जबकि दिल्ली पुलिस केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखेगी।
पार्किंग और सड़क यातायात के प्रबंधन के लिए पर्याप्त ट्रैफिक मार्शल और स्वयंसेवकों को तैनात किया जाना चाहिए, खासकर उक्त संस्थान के उन छात्रों की पहचान करने के लिए जिन्हें आयोजन में प्रवेश की अनुमति है।
कुलपति योगेश सिंह ने रॉय के हवाले से कहा, अपने ही लोगों के खिलाफ सेना तैनात करना, पाकिस्तान ने अपने नागरिकों के खिलाफ उस तरह सेना नहीं उतारी, जैसी लोकतांत्रिक भारत ने की है।
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