Education News: शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को छात्रों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश लागू करने का निर्देश दिया
Press Trust of India | October 31, 2024 | 09:30 AM IST | 2 mins read
एनसीपीसीआर ने बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही तय करने के लिए दिशानिर्देश तय किए हैं जिनका पालन स्कूलों को करना होगा।
नई दिल्ली: दिल्ली शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों को छात्रों की सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। निदेशालय द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है, “सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के प्रमुखों को दिशा-निर्देशों में बताए गए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।”
इसके मुताबिक, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही तय करने के लिए दिशानिर्देश तय किए हैं जिनका पालन स्कूलों को करना होगा।
परिपत्र में कहा गया है कि इन दिशानिर्देशों में स्कूलों के सुरक्षा निरीक्षण के लिए एक ‘चेकलिस्ट’ भी शामिल है। इसमें कहा गया है कि शिक्षा निदेशालय ने सभी संस्थानों के प्रमुखों को निर्देश दिया है कि वे शिक्षण संस्थानों के छात्रावासों के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें।
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School Safety and Security Guidelines: छात्रों की सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों का उद्देश्य
- बच्चों के समग्र विकास के लिए एक सुरक्षित और संरक्षित स्कूली माहौल के सह-निर्माण की आवश्यकता के बारे में छात्रों और अभिभावकों सहित सभी हितधारकों के बीच समझ पैदा करना।
- स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए निजी/गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में स्कूल प्रबंधन और प्रधानाचार्यों तथा शिक्षकों पर तथा सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के मामले में स्कूल के प्रमुख/प्रभारी प्रमुख, शिक्षकों और शिक्षा प्रशासन की जवाबदेही तय करना।
- इसका मुख्य उद्देश्य स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा के मामले में किसी भी व्यक्ति या प्रबंधन की ओर से किसी भी प्रकार की लापरवाही के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ पर जोर देना है।
- विभिन्न हितधारकों को सशक्त बनाना तथा इन दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन में उनकी भूमिका को स्पष्ट करना।
- सुरक्षा और संरक्षा के विभिन्न पहलुओं भौतिक, सामाजिक-भावनात्मक, संज्ञानात्मक और प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर पहले से उपलब्ध अधिनियमों, नीतियों, प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों के बारे में विभिन्न हितधारकों को जागरूक करना।
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