Delhi School: दिल्ली में शिक्षकों के लिए पॉक्सो अधिनियम पर आधारित ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम फिर से शुरू

शिक्षा विभाग ने प्रतिभागियों को सलाह दी है कि वे अपने विद्यालयीन कार्यों को प्रभावित किए बिना, अपनी सुविधा के अनुसार इस पाठ्यक्रम को पूरा करें।

पॉक्सो अधिनियम पर आधारित ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम 11 से 30 जून तक आयोजित किया जाएगा। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | June 12, 2025 | 05:18 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से शिक्षकों के लिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम पर आधारित ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम को दोबारा शुरू किया है। बुधवार (12 जून, 2025) को जारी एक परिपत्र के अनुसार, यह पाठ्यक्रम राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), दिल्ली द्वारा दीक्षा-लीड मंच के माध्यम से पेश किया जा रहा है, जो 11 जून को शुरू हुआ और 30 जून को समाप्त होगा।

ऑनलाइन उपलब्ध आधिकारिक जानकारी के अनुसार, एससीईआरटी बच्चों के लिए शैक्षणिक सामग्री और शिक्षकों के लिए सहायक सामग्री तैयार करने का कार्य करता है। इसके अलावा, यह स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान भी करता है। वर्ष 1988 से 2005 के बीच एससीईआरटी ने 215 प्रकाशन प्रकाशित किए हैं।

परिपत्र में कहा गया है कि यह प्रशिक्षण शिक्षा निदेशालय (डीओई), नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और निजी स्कूलों के शिक्षकों के लिए है और इसका उद्देश्य पॉक्सो अधिनियम के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसको लेकर समझ को मजबूत करना है।

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शिक्षा विभाग ने प्रतिभागियों को सलाह दी है कि वे अपने विद्यालयीन कार्यों को प्रभावित किए बिना, अपनी सुविधा के अनुसार इस पाठ्यक्रम को पूरा करें। यह प्रशिक्षण दीक्षा ऐप के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जिसे नामांकन से पहले अपडेट करना अनिवार्य है।

परिपत्र में यह भी कहा गया कि अंतिम मूल्यांकन में कम से कम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। यह प्रमाणपत्र उपयोगकर्ता की प्रोफ़ाइल में दिए गए नाम के अनुसार 15 दिन बाद जारी किया जाएगा।

शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों से इस अवसर का पूरा उपयोग करने की अपील की है, ताकि वे बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानूनों को लेकर बेहतर समझ विकसित कर सकें और स्कूलों में एक सुरक्षित शिक्षण वातावरण बनाने में सहयोग दे सकें।

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