सीजेआई चंद्रचूड़ का विश्वविद्यालयों को सुझाव, कानूनी शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं को दें महत्व

मुख्य न्यायाधीश चन्द्रचूड़ ने कहा, "यह विविधताओं वाला देश है, कुछ भाषा के आधार पर, कुछ क्षेत्र के आधार पर। उत्तर प्रदेश में अलग-अलग बोलियां हैं।

सीजेआई ने कहा कि वह दोष नहीं लगा रहे हैं बल्कि सुझाव दे रहे हैं।  (इमेज-पीटीआई)
सीजेआई ने कहा कि वह दोष नहीं लगा रहे हैं बल्कि सुझाव दे रहे हैं। (इमेज-पीटीआई)

Press Trust of India | July 14, 2024 | 01:41 PM IST

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि कानून के छात्रों को क्षेत्रीय भाषाओं और मुद्दों से जुड़े कानूनों में माहिर होना चाहिए ताकि न्याय व्यवस्था में सुधार हो सके। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि लोगों की कानूनी व्यवस्था तक पहुंच को बेहतर बनाना जरूरी है। मुख्य न्यायाधीश ने सरल भाषा में कानूनी शिक्षा देने के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि वर्तमान में कानूनी पेशे में यह एक महत्वपूर्ण कमी है।

सुप्रीम कोर्ट के शोध विभाग द्वारा 81 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर किए गए विश्लेषण का हवाला देते हुए सीजेआई ने कहा, "आम लोगों को अपने अधिकारों और योजनाओं को समझने में कठिनाई होती है क्योंकि वे अंग्रेजी नहीं जानते हैं।" उन्होंने कहा, "विधि विश्वविद्यालयों में कानूनी शिक्षा अंग्रेजी में दी जाती है, और कई बार कानूनी सहायता केंद्रों पर छात्र आम लोगों को क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी प्रक्रियाएं नहीं समझा पाते हैं।"

'क्षेत्रीय मुद्दों से संबंधित कानून पढ़ाने चाहिए'

सीजेआई ने कहा कि वह किसी पर दोष नहीं लगा रहे हैं या यह नहीं कह रहे हैं कि कानूनी शिक्षा से अंग्रेजी को हटा दिया जाना चाहिए, बल्कि केवल यह सुझाव दे रहे हैं कि क्षेत्रीय भाषाओं को भी अपनाया जाना चाहिए। सीजेआई ने आगे कहा, "क्षेत्रीय मुद्दों से संबंधित कानून भी हमारे विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा, "यह विविधताओं वाला देश है, कुछ भाषा के आधार पर, कुछ क्षेत्र के आधार पर। उत्तर प्रदेश में अलग-अलग बोलियां हैं। लखनऊ में लोग हिंदुस्तानी बोलते हैं, जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में वे भोजपुरी का उपयोग करते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उच्च न्यायालयों में कार्यवाही अंग्रेजी में होती है, लेकिन जिन लोगों के मामलों की सुनवाई होती है, वे अक्सर अदालत में पेश की जा रही दलीलों को समझ नहीं पाते हैं।

Also readNEET Supreme Court Hearing: कोर्ट में केंद्र का दावा- कदाचार के बड़े संकेत नहीं, 18 जुलाई को अगली सुनवाई

सरल भाषा में होनी चाहिए कानूनी शिक्षा

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "संविधान के विभिन्न प्रावधानों में कुछ कानून और बुनियादी सिद्धांत हैं। हम उन सिद्धांतों को अंग्रेजी में अच्छी तरह पढ़ाते हैं, लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं में उन्हें समझा नहीं पाते। ऐसे में अगर हम आम आदमी को कानून के सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाने में सक्षम नहीं हैं, तो यह शिक्षा की कमी है।"

उन्होंने बताया कि कई देश कानूनी शिक्षा और कानूनी कार्यवाही दोनों को क्षेत्रीय भाषाओं में संचालित करते हैं ताकि सभी नागरिक न केवल कानूनी प्रणाली तक पहुँच सकें बल्कि वकील और न्यायाधीश बनने की आकांक्षा भी रख सकें। सीजेआई ने कहा, "यह तभी संभव है जब हम अपने छात्रों को स्थानीय संदर्भ और स्थानीय कानूनी शब्दों में कानून की मूल बातें कुशलतापूर्वक पढ़ाएं।"

इस दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भसहली, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, आरएमएलएनएलयू के कुलपति प्रोफेसर अमर पाल सिंह उपस्थित थे।

Download Our App

Start you preparation journey for JEE / NEET for free today with our APP

  • Students300M+Students
  • College36,000+Colleges
  • Exams550+Exams
  • Ebooks1500+Ebooks
  • Certification16000+Certifications