CBSE School News: सीबीएसई ने स्कूलों से छात्रों के चीनी सेवन पर नजर रखने के लिए 'शुगर बोर्ड' लगाने को कहा

चीनी के अत्यधिक सेवन से न केवल मधुमेह का खतरा बढ़ता है, बल्कि मोटापा, दांत की समस्याएं और अन्य चयापचय संबंधी विकार भी होते हैं।

एनसीपीसीआर एक सरकारी संस्था है जो बच्चों, खास तौर पर कमज़ोर बच्चों के अधिकारों की रक्षा करती है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | May 18, 2025 | 11:22 AM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने से संबद्ध विद्यालयों को बच्चों के चीनी सेवन पर नजर रखने और उसे कम करने के लिए ‘शुगर बोर्ड’ लगाने का निर्देश दिया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। सीबीएसई ने उल्लेख किया है कि पिछले दशक में बच्चों में टाइप 2 मधुमेह के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो पहले मुख्य रूप से वयस्कों में देखा जाता था।

बोर्ड ने स्कूल प्रधानाचार्यों को लिखे पत्र में कहा, ‘‘यह खतरनाक प्रवृत्ति मुख्य रूप से चीनी के अधिक सेवन के कारण है, जो अकसर स्कूल के वातावरण में मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की आसानी से उपलब्धता के कारण होता है।

चीनी के अत्यधिक सेवन से न केवल मधुमेह का खतरा बढ़ता है, बल्कि मोटापा, दांत की समस्याएं और अन्य चयापचय संबंधी विकार भी होते हैं, जो अंततः बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।’’

दैनिक चीनी सेवन का प्रतिशत अधिक

अध्ययनों से पता चलता है कि 4 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए दैनिक कैलोरी सेवन में चीनी का हिस्सा 13 प्रतिशत है, तथा 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए यह 15 प्रतिशत है, जो अनुशंसित 5 प्रतिशत की सीमा से काफी अधिक है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि स्कूलों में मिलने वाले मीठे स्नैक्स, ड्रिंक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों की सेहत खराब हो रही है। यह निर्देश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने दिया है।

Also read CBSE Board Result 2025: पीएम मोदी ने सीबीएसई रिजल्ट पर छात्रों को दी बधाई, कहा- एक परीक्षा तय नहीं करती भविष्य

स्कूलों में 'शुगर बोर्ड' लगाने को कहा

एनसीपीसीआर एक सरकारी संस्था है जो बच्चों, खास तौर पर कमज़ोर बच्चों के अधिकारों की रक्षा करती है। स्कूलों में एक 'शुगर बोर्ड' लगाया जाना चाहिए, जो बच्चों को ज़्यादा चीनी खाने के नुकसान और इसे खाने के सही तरीके के बारे में बताएगा।

इससे बच्चों को सही खान-पान के बारे में जानकारी मिलेगी। स्कूलों को बच्चों के लिए जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाएं भी आयोजित करनी होंगी। साथ ही 15 जुलाई से पहले इस काम की छोटी रिपोर्ट और कुछ तस्वीरें भी भेजनी होंगी।

[

विशेष समाचार

]
[

नवीनतम शिक्षा समाचार

]