Paper Leak: गोवा विश्वविद्यालय में प्रश्नपत्र लीक के आरोपों पर सहायक प्राध्यापक निलंबित, जांच शुरू

गोवा विश्वविद्यालय के कुलपति ने जांच लंबित रहने तक सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रणव पी नाइक को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है।

प्रोफेसर पर आरोप लगाते हुए दो शिकायतें दर्ज की गईं है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
प्रोफेसर पर आरोप लगाते हुए दो शिकायतें दर्ज की गईं है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | March 17, 2025 | 04:00 PM IST

पणजी: गोवा विश्वविद्यालय में एक छात्रा के लिए स्नातकोत्तर के भौतिक विज्ञान का प्रश्नपत्र लीक कराने के आरोप में सोमवार (17 मार्च) को संस्थान के एक सहायक प्राध्यापक को निलंबित कर दिया गया और उसके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

गोवा विश्वविद्यालय के कुलपति हरिलाल बी. मेनन ने जांच लंबित रहने तक ‘स्कूल ऑफ फिजिकल एंड एप्लाइड साइंसेज’ के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रणव पी नाइक को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है।

Goa Paper Leak: प्रोफेसर पर दो शिकायतें दर्ज की गईं

अधिकारी ने बताया कि डॉ. नाइक पर एक छात्रा को प्रश्नपत्र बताने का आरोप है। कुलपति मेनन ने सोमवार को कहा कि उन्होंने पहले ही तथ्य-खोज समिति गठित कर दी है, जो 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

प्रोफेसर पर आरोप लगाते हुए दो शिकायतें दर्ज की गईं है। पहली शिकायत कार्यकर्ता काशीनाथ शेट्टी और अन्य नागरिकों ने दर्ज कराई, जबकि दूसरी शिकायत कांग्रेस से संबद्ध एनएसयूआई ने अगसैम पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई।

विश्वविद्यालय परिसर अगसैम पुलिस स्टेशन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सहायक प्रोफेसर ने अपनी कथित गर्लफ्रेंड को अधिक अंक दिलाने में मदद करने के लिए प्रश्नपत्र चुराए।

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Paper Leak: कुलपति के कक्ष के बाहर विरोध प्रदर्शन

इससे अन्य छात्रों के साथ धोखा हुआ। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इसमें गोवा विश्वविद्यालय के अधिकारी भी शामिल हैं। एनएसयूआई नेता नौशाद चौधरी ने कहा कि प्रश्नपत्र चोरी से परीक्षा देने वाले कई छात्रों के साथ अन्याय हुआ है।

यह मुद्दा तब और तूल पकड़ गया जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने सोमवार (17 मार्च) को कुलपति के कक्ष के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और इस मुद्दे पर उनकी चुप्पी पर सवाल उठाया।

एबीवीपी के एक नेता ने कहा, "प्रश्नपत्र दोबारा तैयार किया जाना चाहिए था और सहायक प्रोफेसर के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए थी। यह परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों के साथ अन्याय है।"

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