आईआईटी दिल्ली में एएनआरएफ के सीईओ का व्याख्यान, भारत को अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनाने पर जोर

Santosh Kumar | September 2, 2025 | 07:21 PM IST | 2 mins read

एएनआरएफ प्रमुख ने संस्थान के युवा संकाय सदस्यों से मुलाकात की और आईआईटी दिल्ली के 67 वर्षों पर एक पुस्तक का विमोचन भी किया।

इस अवसर पर आईआईटी दिल्ली के 67 वर्षों पर आधारित एक ग्राफिक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। (इमेज-आधिकारिक)

नई दिल्ली: अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में शैक्षणिक कैलेंडर 2025-26 की पहली "संस्थान व्याख्यान श्रृंखला" में मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। व्याख्यान का विषय था "एएनआरएफ विजन: कैटालाइजिंग इंडिया’स राइज ऐज अ रिसर्च एंड इनोवेशन पावरहाउस"। अपने व्याख्यान में उन्होंने एएनआरएफ के दृष्टिकोण को साझा किया तथा बताया कि किस प्रकार यह संगठन वैज्ञानिकों और संकाय सदस्यों के लिए अनुसंधान वातावरण स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि एएनआरएफ भारत को अनुसंधान और नवाचार केंद्र के रूप में उभरने में मदद करने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान कर रहा है। उन्होंने विज्ञान को सुगम बनाने के लिए एएनआरएफ द्वारा किए जा रहे निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डाला।

सीईओ शिवकुमार कल्याणरमन ने कहा कि वे खरीद प्रक्रिया को बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं से सुझाव मांगे हैं ताकि ऐसा माहौल बनाया जा सके जिसमें शोधकर्ता आसानी से काम कर सकें।

67 वर्षों पर आधारित पुस्तक का विमोचन

शिवकुमार ने आईआईटी दिल्ली स्थित केंद्रीय अनुसंधान सुविधा (सीआरएफ) का दौरा किया। उन्होंने आईआईटी दिल्ली के अधिकारियों के साथ एक विचार-मंथन सत्र में भी भाग लिया और आईआईटी दिल्ली के योगदान की रूपरेखा पर चर्चा की।

सीईओ डॉ. शिवकुमार ने आईआईटी दिल्ली के युवा संकाय सदस्यों से मुलाकात की और उनसे बातचीत की। इस अवसर पर आईआईटी दिल्ली के 67 वर्षों पर आधारित एक ग्राफिक पुस्तक का भी विमोचन किया गया।

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इस पुस्तक में छात्रों और शिक्षकों के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य और किस्से शामिल हैं। इसका विमोचन डॉ. शिवकुमार और प्रो. रंगन बनर्जी ने किया। पुस्तक पर बोलते हुए, आईआईटी दिल्ली की एसोसिएट डीन, शिल्पी शर्मा ने अपने विचार साझा किए।

उन्होंने कहा, "यह पुस्तक आईआईटी दिल्ली की स्थापना से लेकर उसकी नई उपलब्धियों तक की कहानी को हास्य शैली में प्रस्तुत करती है। आशा है कि पाठक इसके पन्ने पढ़ते हुए आनंद, पुरानी यादें और अपनेपन का अनुभव करेंगे।"

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