केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखते हुए बताया कि सरकार ने लैटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत इसे रद्द करने का फैसला किया है।
Santosh Kumar | August 20, 2024 | 04:32 PM IST
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस मामले को लेकर केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है। यूपीएससी ने 17 अगस्त को लैटरल एंट्री भर्ती के लिए 45 पदों पर वैकेंसी निकाली थी। केंद्रीय मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन से इस नोटिफिकेशन को रद्द करने को कहा। मंत्री के मुताबिक पीएम मोदी के अनुरोध पर यह फैसला बदला गया है।
केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखते हुए बताया कि सरकार ने लैटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत इसे रद्द करने का फैसला किया है। पत्र में कहा गया है कि ज्यादातर लैटरल एंट्री 2014 से पहले की गई थीं, और तब आरक्षण के बारे में नहीं सोचा गया था।
मोदी सरकार का मानना है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। पत्र में कहा गया है कि ये विशेष पद हैं और इसलिए इन पर नियुक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। इनकी समीक्षा कर, जरूरत के हिसाब से सुधार किया जाना चाहिए।
यूपीएससी को लिखे पत्र में केंद्र ने कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा है। पत्र में केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सैद्धांतिक रूप से सीधी भर्ती की अवधारणा का समर्थन 2005 में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग ने किया था। लैटरल एंट्री का प्रस्ताव कांग्रेस के शासनकाल में लाया गया था।
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कांग्रेस ने लैटरल एंट्री के लिए विज्ञापन वापस लेने के केंद्र के कदम को पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और इंडिया ब्लॉक पार्टियों के नेतृत्व में चलाए गए अभियान का परिणाम बताया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस हर कीमत पर संविधान और आरक्षण प्रणाली की रक्षा करेगी और भाजपा की "साजिशों" को विफल करेगी।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए खड़गे ने कहा, "संविधान अमर रहे! दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक न्याय की कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने आरक्षण छीनने की भाजपा की साजिश को नाकाम कर दिया है।"
कांग्रेस अध्यक्ष ने हिंदी में एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "मोदी सरकार का लेटरल एंट्री पर पत्र दिखाता है कि केवल संविधान की शक्ति ही तानाशाही शासन के अहंकार को हरा सकती है।" उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक पार्टियों द्वारा चलाए जा रहे अभियान के कारण ही सरकार ने एक कदम पीछे लिया है।
यूपीएससी में लेटरल एंट्री का मतलब प्राइवेट सेक्टर के लोगों को सीधे सरकार के बड़े पदों पर भर्ती करना है। इससे दो फायदे होते हैं। पहला, प्रशासन में एक्सपर्ट्स शामिल होते हैं, और दूसरा, प्रतिस्पर्धा बनी रहती है। लेटरल एंट्री के जरिए सरकार में संयुक्त सचिव, निदेशक, या उप-सचिव जैसे पदों के लिए भर्ती की जाती है।
यूपीएससी ने 17 अगस्त को सरकारी विभागों में 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों, विशेषज्ञों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। विपक्षी दलों ने इस फैसले की आलोचना की थी, जिन्होंने दावा किया था कि यह ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण अधिकारों को कमजोर करता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि यह दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर "हमला" है। लेटरल एंट्री मुद्दे पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कांग्रेस ने सोमवार को भाजपा पर आरक्षण "छीनने" और एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए निर्धारित पदों को आरएसएस के लोगों को देने का आरोप लगाया।