Shoolini University: शूलिनी विश्वविद्यालय को मिला यूजीसी कैटेगरी-1 का दर्जा, टॉप स्वायत्त संस्थानों में शामिल

स्वायत्तता के अंतर्गत मिलने वाले विशेषाधिकारों के तहत कैटेगरी‑1 विश्वविद्यालय नियामक शर्तें पूरी करने की स्थिति में ओपन व डिस्टेंस लर्निंग (ODL) मोड में कार्यक्रम संचालित कर सकते हैं।

शूलिनी यूनिवर्सिटी टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में वैश्विक स्तर पर शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में शामिल है। (इमेज- SU/आधिकारिक वेबसाइट)
शूलिनी यूनिवर्सिटी टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में वैश्विक स्तर पर शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में शामिल है। (इमेज- SU/आधिकारिक वेबसाइट)

Abhay Pratap Singh | July 14, 2025 | 03:38 PM IST

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा ग्रेडेड स्वायत्तता विनियम, 2018 के तहत कैटेगरी-1 का दर्जा प्रदान किया गया है। यूजीसी ने यह निर्णय विश्वविद्यालय द्वारा पेश प्रस्ताव के बाद अपनी 591वीं आयोग बैठक के दौरान लिया।

शूलिनी यूनिवर्सिटी को यूजीसी की स्वायत्तता रूपरेखा में निर्धारित मानदंडों को पूरा करने के बाद भारत के टॉप स्वायत्त संस्थानों की श्रेणी में रखा गया है। इन मानदंडों में संस्थान द्वारा टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में वैश्विक स्तर पर शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में अपनी जगह बनाना भी शामिल है।

विश्वविद्यालय के संस्थापक चांसलर प्रो पीके खोसला ने कहा, “यह उपलब्धि हमें अनुसंधान में अधिक स्वायत्तता और उन्नत अनुदानों तक पहुंच प्रदान करती है। इस गति के साथ, मैं आने वाले दशक में शूलिनी विश्वविद्यालय को ऑक्सफोर्ड के समकक्ष एक संस्थान के रूप में विकसित होते हुए देखना चाहता हूं।”

प्रोफेसर खोसला ने विश्वविद्यालय की वैश्विक शोध उपस्थिति को मजबूत करने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “अब हमें अपने वैश्विक शोध उद्धरणों (citations) को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है कि अगले 10 वर्षों में शूलिनी विश्वविद्यालय दुनिया के शीर्ष 50 विश्वविद्यालयों में शामिल होगा।”

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यूजीसी दिशानिर्देशों के अनुसार, कैटेगरी-1 संस्थानों को अपनी रैंकिंग या मान्यता में किसी भी गिरावट की स्थिति में 30 दिनों के भीतर आयोग को सूचित करना अनिवार्य है। यदि कोई संस्थान निर्धारित मानकों को बनाए रखने में विफल रहता है, तो उसे निम्न श्रेणी में स्थानांतरित किया जा सकता है, जिससे उससे जुड़ी विशेष सुविधाएं वापस ली जा सकती हैं। हालांकि, पूर्व स्थिति के तहत शुरू की गई किसी भी पहल को उसके निष्कर्ष तक पहुंचने तक जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।

विश्वविद्यालय को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह अपने नए दर्जे के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू किए जाने वाले लाभों की जानकारी यूजीसी को दे। इसके साथ ही संस्थान को यूजीसी के ग्रेडेड स्वायत्तता विनियमों के सभी प्रावधानों का पालन करने की प्रतिबद्धता दर्शाते हुए एक लिखित स्वीकृति पत्र भी प्रस्तुत करना होगा।

आगे कहा गया कि, स्वायत्तता के अंतर्गत मिलने वाले विशेषाधिकारों के तहत कैटेगरी‑1 विश्वविद्यालय नियामक शर्तें पूरी करने की स्थिति में ओपन व डिस्टेंस लर्निंग (ODL) मोड में कार्यक्रम संचालित कर सकते हैं। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए विश्वविद्यालय को यूजीसी‑डीईबी पोर्टल पर पाठ्यक्रम विवरण, समर्थक दस्तावेज और एक औपचारिक शपथ‑पत्र जमा करना अनिवार्य होगा।

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