Ramayana Workshop: बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए यूपी के हर जिले में आयोजित होगी रामायण कार्यशाला

रामायण पर शिविर आयोजित करने का उद्देश्य खासकर गर्मी की छुट्टियों के दौरान बच्चों को भारतीय संस्कृति से रचनात्मक रूप से जोड़ना है।

रामायण शिविर 15 मई से शुरू होने की संभावना है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
रामायण शिविर 15 मई से शुरू होने की संभावना है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | May 13, 2025 | 06:34 PM IST

नई दिल्ली: अयोध्या स्थित अंतरराष्ट्रीय रामायण और वैदिक शोध संस्थान गर्मी की छुट्टियों के दौरान बच्चों को भारतीय संस्कृति से रचनात्मक रूप से जोड़ने के लिए राज्य के सभी 75 जिलों में रामायण कार्यशालाएं आयोजित करेगा। प्रदेश के संस्कृति और पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने 13 मई, 2025 को यह जानकारी दी है।

उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, “शिविर 15 मई से शुरू होने की संभावना है। रामायण पर शिविर आयोजित करने का उद्देश्य खासकर गर्मी की छुट्टियों के दौरान बच्चों को भारतीय संस्कृति से रचनात्मक रूप से जोड़ना है।”

अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के निदेशक संतोष कुमार शर्मा ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पांच मई को लिखे पत्र में कहा, “अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान अयोध्या ने प्रस्ताव दिया है कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में रामायण और वेदों के प्रति रुचि पर ग्रीष्मकालीन शिविर आयोजित किया जाए।”

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पत्र के मुताबिक शिविर में रामलीला, श्रीरामचरित मानस गायन और पाठ, रामायण चित्रकला, मुखौटे, रामायण क्ले मॉडलिंग, ‘रामायण फेस आर्ट’, वेद गायन और वैदिक सामान्य ज्ञान पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। शिविर की अवधि पांच से 10 दिन है। पत्र में कहा गया है कि शिविर बच्चों में भारतीय संस्कृति के मूल्यों को विकसित करेगा और कला के प्रति दिलचस्पी जगाएगा।

भीम आर्मी चीफ ने योगी सरकार पर साधा निशाना -

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने रामायण कार्यशाला को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 'रामायण' और 'वेद' पर एकपक्षीय कार्यशालाएं अनिवार्य करना, न केवल संविधान की मूल भावना का उल्लंघन है, बल्कि यह देश की सामाजिक विविधता पर सीधा प्रहार है।

उन्होंने आगे कहा, “यह फैसला बताता है कि सरकार शिक्षा नहीं, धार्मिक ध्रुवीकरण के ज़रिए राजनीतिक लाभ लेने का काम रही है। शिक्षा का उद्देश्य धर्म प्रचार नहीं, विवेकशील नागरिकों का निर्माण होना चाहिए। यही भारत की आत्मा है, यही संविधान की पुकार है।”

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