शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का फर्जी पत्र के जरिए दावा करने वाले पुणे के प्रोफेसर को पुलिस ने किया गिरफ्तार

Press Trust of India | September 22, 2025 | 04:28 PM IST | 2 mins read

वर्ष 2022 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का नाम बदलकर राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार कर दिया गया, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में से एक है।

पुणे के प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह यादव को कथित जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
पुणे के प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह यादव को कथित जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: पुणे स्थित एक कॉलेज के रसायन विज्ञान के प्रोफेसर को एक फर्जी पत्र बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है जिसमें दावा किया गया था कि प्रोफेसर को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा स्थापित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुलिस ने 22 सितंबर को जानकारी देते हुए मामले की पुष्टि की है।

एक अधिकारी ने बताया कि वाघोली के एक कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह यादव को 21 सितंबर को भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (4) (धोखाधड़ी), 336 (जालसाजी) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया।

राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) के एक सुरक्षा अधिकारी की शिकायत के अनुसार, मंत्रालय को हाल में एक पत्र मिला जिसमें कहा गया था कि वाघोली के एक कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर यादव को 2025 और 2026 के शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चुना गया है। वर्ष 2022 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का नाम बदलकर राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार कर दिया गया, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में से एक है।

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शिकायत में कहा गया है, ‘‘जांच के दौरान वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् - मानव संसाधन विकास केंद्र (सीएसआईआर-एचआरडीसी) अधिकारियों को पत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के जाली हस्ताक्षर मिले। जांच में यह भी पता चला कि 2025 और 2026 के उक्त विज्ञान पुरस्कार के लिए किसी का चयन नहीं किया गया था।’’

पुलिस ने बताया कि एनसीएल को सत्यापन करने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद एक टीम ने कॉलेज में यादव से मुलाकात की और पाया कि उसने विज्ञान के क्षेत्र में उच्च पद पाने के लिए कथित तौर पर जाली पत्र बनाया था। पुलिस उपायुक्त (जोन 4) सोमय मुंडे ने कहा, ‘‘यादव ने पुरस्कार के लिए चुने जाने का दावा करते हुए एक जाली पत्र बनाया और उसने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह के भी जाली हस्ताक्षर किए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम मामले की जांच कर रहे हैं। हम यह भी पता लगा रहे हैं कि क्या इस मामले में कोई और व्यक्ति भी शामिल है या नहीं।’’ मामले के जांच अधिकारी, सब-इंस्पेक्टर संदीप कारपे ने कहा कि यादव को 26 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।

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