PMeVIDYA: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भारतीय सांकेतिक भाषा के लिए लॉन्च किया पीएम ई-विद्या डीटीएच चैनल
Santosh Kumar | December 6, 2024 | 04:06 PM IST | 2 mins read
इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री जयंत चौधरी के अलावा शिक्षा जगत के कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भारत के शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ने आज यानी 6 दिसंबर 2024 को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के लिए पीएम ई-विद्या डीटीएच चैनल नंबर 31 लॉन्च किया। इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री जयंत चौधरी के अलावा शिक्षा जगत से जुड़े कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
एनसीईआरटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में श्रवण बाधित (एचआई) बच्चों, एचआई प्राप्तकर्ताओं, विशेष शिक्षकों, आईएसएल प्रमाणित दुभाषियों और श्रवण बाधित समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए काम करने वाले संगठनों ने भाग लिया।
पीएम ई-विद्या एनसीईआरटी की पहल
जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश में 50 लाख से अधिक श्रवण बाधित लोग हैं, जिनमें स्कूल जाने वाले बच्चे भी शामिल हैं। इन बच्चों की पढ़ाई को आसान बनाने के लिए एनसीईआरटी ने यह पहल की है।
यह पहल विशेष रूप से श्रवण बाधित छात्रों के लिए बनाई गई है ताकि उन्हें समान अवसर मिल सकें। इस पहल का उद्देश्य भारतीय सांकेतिक भाषा को एक भाषा और स्कूल विषय के रूप में विकसित करना है।
कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अगर देश में 50 लाख से अधिक श्रवण बाधित लोग हैं, तो कम से कम 5 करोड़ लोगों को एनसीईआरटी की इस पहल, भारतीय सांकेतिक भाषा से जुड़ना होगा।
PMeVIDYA: विषय विशेषज्ञों से सीधे संवाद का अवसर
पीएम ई-विद्या डीटीएच चैनल पर विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों की कक्षावार शिक्षण सामग्री, रोचक कहानियां, कविताएं, नई संकेत शब्दवाली सामग्री और लाइव प्रसारण के दौरान विषय विशेषज्ञों से सीधे संवाद का अवसर मिलेगा।
पीएम ई-विद्या डीटीएच चैनल कार्यक्रम में शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने पीएम ई-विद्या की टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि वह अपनी टीम के कार्यक्रम में एक अनुवादक भी रखेंगे जिससे लोगों की समझने की क्षमता बढ़ेगी।
यह चैनल स्कूली बच्चों, शिक्षकों, प्रशिक्षकों और अन्य लोगों को करियर मार्गदर्शन, कौशल प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, हिंदी-अंग्रेजी जैसी भाषाओं की तरह सांकेतिक भाषा को भी भाषा विषय के रूप में बढ़ावा देगा।
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