NEP 2020: महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने का आदेश जारी, मराठी संगठनों ने किया विरोध

सरकारी आदेश में छात्रों को हिंदी के बजाय किसी अन्य भारतीय भाषा को चुनने का सशर्त विकल्प दिया गया है, लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक स्कूल में कम से कम 20 छात्रों को यह विकल्प चुनना होगा।

महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने एनईपी 2020 के तहत यह आदेश जारी किया। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने एनईपी 2020 के तहत यह आदेश जारी किया। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | June 18, 2025 | 12:52 PM IST

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5वीं तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का आदेश जारी किया है। मंगलवार (17 जून, 2025) को जारी संशोधित सरकारी आदेश में कहा गया है कि हिंदी अनिवार्य होने के बजाय "सामान्य रूप से" तीसरी भाषा होगी, लेकिन यदि किसी स्कूल में प्रति कक्षा 20 छात्र हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा का अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो उन्हें इससे बाहर रहने का विकल्प दिया गया है।

मराठी संगठनों और कांग्रेस ने किया विरोध -

एक ओर मराठी भाषा के पक्षधरों ने आरोप लगाया है कि सरकार शुरू में इस नीति से पीछे हटने के बाद "गुपचुप तरीके" से इसे फिर से लागू कर रही है, तो वहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर मराठी लोगों की छाती में छुरा घोंपने का आरोप लगाया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 -

महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत 'स्कूली शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा 2024' के कार्यान्वयन के तहत यह आदेश जारी किया। आदेश के अनुसार, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक के सभी छात्र अब अनिवार्य रूप से तीसरी भाषा के रूप में हिंदी का अध्ययन करेंगे।

Also readMAH CET Exams: धांधली रोकने के लिए महाराष्ट्र में ही होगी सीईटी परीक्षा, शिक्षा मंत्री ने किया ऐलान

हिंदी के विकल्प के रूप में होगी अन्य भाषा -

आदेश में कहा गया है, "जो छात्र हिंदी के विकल्प के रूप में कोई अन्य भाषा सीखना चाहते हैं, उनकी संख्या 20 से अधिक होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में, उस विशेष भाषा के लिए एक शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा या भाषा को ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा।" आलोचकों का दावा है कि सरकार का यह ताजा कदम स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे के पहले के बयानों के विपरीत है, जिनमें उन्होंने कहा था कि प्राथमिक कक्षाओं के लिए हिंदी अनिवार्य नहीं होगी।

त्रि-भाषा सूत्र -

आदेश में कहा गया है कि अन्य शिक्षण माध्यमों से पढ़ाई कराने वाले स्कूलों में त्रि-भाषा सूत्र में माध्यम भाषा, मराठी और अंग्रेजी शामिल होनी चाहिए। इस साल की शुरुआत में, राज्य सरकार को पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाए जाने के अपने प्रस्ताव के लिए व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा था। 22 अप्रैल को भुसे ने कहा था कि पहली से पांचवी कक्षा तक हिंदी अब अनिवार्य नहीं होगी।

महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड -

महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसंत कल्पांडे ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षक उपलब्ध कराने का प्रावधान हिंदी के अलावा किसी अन्य भाषा को चुनने को हतोत्साहित करने का एक प्रयास है। हालांकि, मराठी और हिंदी की लिपियां समान हैं, लेकिन इतनी कम उम्र के छात्रों के लिए लिपियों के बीच की बारीकियों और अंतरों को सीखना बहुत मुश्किल होगा।

Download Our App

Start you preparation journey for JEE / NEET for free today with our APP

  • Students300M+Students
  • College36,000+Colleges
  • Exams550+Exams
  • Ebooks1500+Ebooks
  • Certification16000+Certifications