NEET UG 2025: बिजली कटौती से प्रभावित इंदौर-उज्जैन छात्रों की दोबारा होगी नीट परीक्षा, एमपी हाईकोर्ट का फैसला
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि काउंसलिंग पुनर्परीक्षा के नतीजों पर निर्भर करेगी और याचिकाकर्ताओं की रैंक पुनर्परीक्षा के आधार पर ही मानी जाएगी।
Santosh Kumar | July 1, 2025 | 09:56 AM IST
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को इंदौर और उज्जैन के केंद्रों पर बिजली कटौती से प्रभावित उम्मीदवारों के लिए नीट यूजी 2025 परीक्षा फिर से आयोजित करने का निर्देश दिया है। लाइव लॉ की रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने प्रभावित छात्रों द्वारा दायर रिट याचिकाओं के एक बैच को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया। नीट यूजी 2025 परीक्षा 4 मई, 2025 को एक पाली में आयोजित की गई।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को बिना किसी गलती के बिजली कटौती का सामना करना पड़ा, जबकि अन्य केंद्रों या उसी केंद्र के कुछ छात्रों को भी इसका सामना नहीं करना पड़ा। इसलिए, यह मामला अनुच्छेद 14 के तहत विचारणीय है।
NEET UG Counselling 2025: नीट काउंसलिंग शेड्यूल में देरी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि काउंसलिंग पुनर्परीक्षा के नतीजों पर निर्भर करेगी और याचिकाकर्ताओं की रैंक पुनर्परीक्षा के आधार पर ही मानी जाएगी। यह राहत केवल उन्हीं छात्रों को मिलेगी जिन्होंने 3 जून 2025 से पहले याचिका दायर की।
याचिकाकर्ताओं की परेशानी को समझने के लिए कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कमरे की लाइट बंद करवा दी। कोर्ट ने कहा कि बड़ी खिड़कियों के बावजूद कमरे में थोड़ी-बहुत प्राकृतिक रोशनी ही आ पाती है, जबकि परीक्षा केंद्रों में इतनी बड़ी खिड़कियां नहीं होतीं। इससे कोर्ट को छात्रों की परेशानी का अंदाजा हो गया।
NEET UG 2025 Retest: कोर्ट ने एनटीए को दिए निर्देश
बता दें कि नीट यूजी परीक्षा में शामिल छात्रों ने आरोप लगाया कि 4 मई 2025 को आयोजित परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर बिजली काट दी गई, जिसके कारण उन्हें अंधेरे में परीक्षा देनी पड़ी। कई केंद्रों पर जनरेटर भी काम नहीं कर रहे थे।
शिकायतों में बताया गया कि न तो अतिरिक्त समय दिया गया और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई। हालांकि, एनटीए ने कोर्ट को बताया कि कई केंद्रों पर इनवर्टर, मोमबत्ती और टॉर्च जैसी वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित केंद्रों के कई छात्रों ने 600 से अधिक अंक भी हासिल किए हैं। हालांकि, कोर्ट ने माना कि कुछ छात्रों को बिना किसी गलती के नुकसान उठाना पड़ा और ऐसे छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा होनी चाहिए।
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