यह पुस्तक बच्चों पर जानकारी थोपने के बजाय समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सुबोध और बहुविषयक शैली में तैयार की गई है।
Santosh Kumar | July 17, 2025 | 02:46 PM IST
नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) और एनसीएफ-एसई-2023 द्वारा निर्देशित, एनसीईआरटी ने कक्षा 8 के लिए नई सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक "समाज की खोज: भारत और उससे आगे" जारी की है। यह पुस्तक देश के भूगोल, इतिहास (मध्यकालीन और आधुनिक), शासन और आर्थिक जीवन को एकीकृत तरीके से प्रस्तुत करती है, ताकि छात्र विषय की आलोचनात्मक समझ विकसित कर सकें।
जारी अधिसूचना के अनुसार, चूंकि कक्षा 8 माध्यमिक स्तर का अंतिम वर्ष है, इसलिए यह पुस्तक विशेष रूप से 13वीं से 19वीं शताब्दी के दौरान घटित घटनाओं और वर्तमान भारत पर उनके प्रभाव को समझाने का प्रयास करती है।
यह पुस्तक बच्चों पर जानकारी थोपने के बजाय समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सुबोध और बहुविषयक शैली में तैयार की गई है। इसमें प्रयुक्त सभी तथ्य विश्वसनीय प्राथमिक और माध्यमिक शैक्षणिक स्रोतों पर आधारित हैं।
शिक्षार्थियों के लाभ के लिए पृष्ठ 20 पर "इतिहास के अंधकारमय काल पर एक टिप्पणी" जोड़ी गई है। यह पाठ्यपुस्तक में प्रस्तुत सामग्री का सारांश है; संपूर्ण पाठ्यपुस्तक को इसी दृष्टिकोण से देखा और समझा जाना चाहिए।
एनसीईआरटी की आठवीं कक्षा की नई सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक छात्रों को दिल्ली सल्तनत और मुगलों से परिचित कराती है। इसमें बाबर को "एक बर्बर और क्रूर विजेता" बताया गया है जिसने पूरे शहर की आबादी का नरसंहार किया था।
इसमें औरंगजेब को एक सैन्य शासक बताया गया है, जिसने मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट किया। किताब में अकबर के शासनकाल को विभिन्न धर्मों के प्रति ‘‘क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण’’ बताया गया है।
किताब में जहां सल्तनत और मुगल काल के खंड में स्याह पक्षों को रेखांकित किया गया है वहीं प्रतिरोध और लचीलेपन के बारे में भी बताया गया है। पाठ्यपुस्तक में शिवाजी को एक कुशल रणनीतिकार के रूप में वर्णित किया गया है।
पुस्तक में खंडित किये गए मंदिरों के पुनर्निर्माण में उनके प्रयासों का उल्लेख है। आठवीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तक में मुगलों के विरुद्ध वीरतापूर्ण प्रतिरोध पर भी एक खंड है। इसमें गोंड राज्य की रानी दुर्गावती के बारे में जानकारी दी गई है।
इनपुट्स-पीटीआई