Abhay Pratap Singh | November 11, 2024 | 04:24 PM IST | 2 mins read
आईआईटी-एम के अनुसार, यह केंद्र इसरो के अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान से संबंधित थर्मल प्रबंधन अनुसंधान गतिविधियों के लिए नोडल केंद्र होगा।
नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) ‘द्रव एवं थर्मल विज्ञान’ में रिसर्च के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए इसरो के साथ साझेदारी की है। इसरो इस केंद्र की स्थापना के लिए 1.84 करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि प्रदान करेगा।
आईआईटी-एम के अनुसार, यह केंद्र इसरो के अंतरिक्ष यान (spacecraft) और प्रक्षेपण यान से संबंधित थर्मल प्रबंधन अनुसंधान गतिविधियों के लिए नोडल केंद्र होगा। आईआईटी मद्रास द्वारा फैकल्टी की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर डिजाइन, विश्लेषण और परीक्षण घटकों से संबंधित थर्मल समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा।
आईआईटी मद्रास में 11 नवंबर को प्रोफेसर मनु संथानम, डीन (औद्योगिक परामर्श और प्रायोजित अनुसंधान), आईआईटी मद्रास और विक्टर जोसेफ टी, निदेशक, प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार (डीटीडीआई), इसरो द्वारा एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के परियोजना समन्वयक प्रो. अरविंद पट्टामत्ता भी उपस्थिति रहे।
प्रो अरविंद पट्टामत्ता ने कहा, “जटिल थर्मल इंजीनियरिंग चुनौतियों का समाधान करके, हमारा लक्ष्य देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान देना और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है।”
बता दें, देश के लिए वास्तव में आत्मनिर्भर और स्व-उत्पादक अंतरिक्ष कार्यक्रम को सक्षम करने के लिए एडवांस शैक्षणिक अनुसंधान के माध्यम से बुनियादी ज्ञान उत्पन्न करने की आवश्यकता को पहचानते हुए इसरो और आईआईटी मद्रास ने 1985 में ‘इसरो-आईआईटी एम स्पेस टेक्नोलॉजी सेल’ की स्थापना की थी।