Saurabh Pandey | May 27, 2024 | 04:22 PM IST | 2 mins read
इस प्रोग्राम की मदद से कृषक समुदाय को दो पहलुओं लागत प्रबंधन और अधिकतम रिटर्न पर जागरूक किया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम शहरी और ग्रामीण युवाओं, छोटे और मध्यम उद्यमियों, किसान संगठनों, एनजीओ पदाधिकारियों और प्रशिक्षकों और प्रगतिशील किसानों को लक्षित करता है।
नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर ने इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ICMAI) के सहयोग से एक नया शैक्षिक कार्यक्रम डिप्लोमा इन एग्रीकल्चरल कॉस्ट मैनेजमेंट (डीएसीएम) लॉन्च किया है।
डिप्लोमा इन एग्रीकल्चरल कॉस्ट मैनेजमेंट का उद्देश्य शिक्षार्थियों को कृषि लागतों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए शिक्षित और प्रशिक्षित करना है। कृषि उत्पादन, फसल की खेती, पशुधन पालन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित निर्णय लेने सहित विभिन्न गतिविधियों में जानकारी प्रदान करना है।
डीएसीएम कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्यों में संसाधन उपयोग, कृषि लागत प्रबंधन, मूल्य श्रृंखला और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के प्रति ज्ञान, कौशल और उद्यमशीलता क्षमताओं में दक्षता शामिल है। यह पाठ्यक्रम शहरी और ग्रामीण युवाओं, छोटे और मध्यम उद्यमियों, किसान संगठनों, एनजीओ पदाधिकारियों और प्रशिक्षकों और प्रगतिशील किसानों को लक्षित करता है, जिनके लिए किसी भी विषय में 10+2 उत्तीर्ण करने की न्यूनतम पात्रता की आवश्यकता होती है। पाठ्यक्रम की अवधि न्यूनतम एक वर्ष से अधिकतम तीन वर्ष तक होती है।
डिप्लोमा इन एग्रीकल्चरल कॉस्ट मैनेजमेंट कृषि में पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है, जो क्षेत्र में छात्रों और प्रोफेशनल्स की तमाम आवश्यकताओं को पूरा करता है। ये कृषि प्रबंधन और उद्यमिता के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं, कृषि विकास में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को मूल्यवान कौशल प्रदान करते हैं। पाठ्यक्रमों में कृषि की मूल बातें, कृषि सिद्धांतों और प्रथाओं की मूलभूत समझ प्रदान करती है। ये पाठ्यक्रम कृषि क्षेत्र में विभिन्न भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के लिए व्यक्तियों को तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक व्यापक पाठ्यक्रम है।
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भारतीय लागत लेखाकार संस्थान दुनिया का दूसरा और एशिया का सबसे बड़ा लागत एवं प्रबंधन लेखा निकाय है। वर्तमान में, संस्थान में रोजगार और प्रैक्टिस दोनों में लगभग 85000 योग्य सीएमए हैं और 5 लाख से अधिक छात्र सीएमए कोर्स कर रहे हैं।
किसानों की आय बढ़ाना देश में लागू की जा रही विभिन्न राष्ट्रीय योजनाओं और कार्यक्रमों का एक प्रमुख लक्ष्य है। कृषक समुदाय को दो पहलुओं लागत प्रबंधन और अधिकतम रिटर्न पर जागरूक किया जा रहा है। मूल्यवर्धन और विविधीकरण जैसी संबद्ध कृषि-आधारित गतिविधियों के साथ-साथ मुख्य कृषि गतिविधियों से आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि उद्यमिता, कृषि-स्टार्टअप कृषि उत्पादन की लागत को कम करने और आय का एक बढ़ा स्रोत प्रदान करने के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं।