अनौपचारिक ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ के माध्यम से कनिष्ठ छात्रों को परेशान करना ‘रैगिंग’ माना जाएगा, यूजीसी का निर्देश

Press Trust of India | July 9, 2025 | 02:30 PM IST | 1 min read

अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार के ‘ग्रुप’ को ‘रैगिंग’ माना जाएगा और ‘रैगिंग’ रोधी नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यूजीसी ने कहा, ‘‘परिसर में छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे कनिष्ठ छात्रों को परेशान करने के लिए बनाए गए किसी भी अनौपचारिक ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ पर नजर रखें। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार के ‘ग्रुप’ को ‘रैगिंग’ माना जाएगा और ‘रैगिंग’ रोधी नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यूजीसी को नए छात्रों से हर साल दर्जनों शिकायतें मिलती हैं, जिनमें वरिष्ठ छात्रों द्वारा उन्हें परेशान किए जाने के आरोप लगाए जाते हैं।

यूजीसी ने निर्देश में कहा, ‘‘कई मामलों में वरिष्ठ छात्र अनौपचारिक ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ बनाते हैं, कनिष्ठ छात्रों से संपर्क करते हैं और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। यह भी ‘रैगिंग’ के समान है और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।’’

UGC Anti Ragging: यूजीसी ने दी चेतावनी

यूजीसी की ओर से कहा गया, ‘‘परिसर में छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। ‘रैगिंग’ रोधी मानदंडों को लागू करने में विफलता के कारण अनुदान रोकने सहित कड़ी कार्रवाई हो सकती है।’’

परामर्श में उन घटनाओं को भी चिह्नित किया गया है जिनमें कनिष्ठ छात्रों को धमकी दी गई थी कि अगर वे अपने वरिष्ठ छात्रों के निर्देशों का पालन नहीं करेंगे तो उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा।

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छात्रों को बाल कटवाने के लिए मजबूर करना, लंबे समय तक जगाए रखना या उन्हें मौखिक रूप से अपमानित करने को भी रैंगिग के ही अन्य तरीकों के रूप में वर्णित किया गया है।

इसमें कहा गया है, ‘‘ऐसे कृत्य शारीरिक और मानसिक कष्ट का कारण बनते हैं और ‘रैगिंग’ विरोधी नियमों का गंभीर उल्लंघन हैं तथा पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं।’’ हाल में यूजीसी ने एंटी-रैगिंग मानदंडों का पालन न करने पर 89 संस्थानों को डिफॉल्टर घोषित किया।

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