‘डिफॉल्टर’ आईआईटी की सूची में आईआईटी बंबई, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी पलक्कड़ और आईआईटी हैदराबाद के नाम शामिल हैं।
Press Trust of India | June 29, 2025 | 05:02 PM IST
नई दिल्ली: चार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और तीन भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रैगिंग रोधी मानदंडों का पालन नहीं करने के कारण ‘डिफॉल्टर’ सूची में रखे गए हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यूजीसी ने देशभर के 89 संस्थानों को एंटी-रैगिंग मानदंडों के अनिवार्य अनुपालन का शपथ पत्र जमा न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
‘डिफॉल्टर’ सूची में आईआईटी, आईआईएम, एम्स और एनआईडी सहित राष्ट्रीय महत्व के 17 संस्थान शामिल हैं। ‘डिफॉल्टर’ आईआईटी में आईआईटी बंबई, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी पलक्कड़ और आईआईटी हैदराबाद हैं।
इसी तरह, आईआईएम बंबई, आईआईएम रोहतक और आईआईएम तिरुचिरापल्ली भी सूची में हैं। ‘डिफॉल्टर’ में एम्स रायबरेली और एनआईडी- दिल्ली, आंध्र प्रदेश और हरियाणा भी शामिल हैं।
यूजीसी सचिव ने कहा, "कई परामर्शों, एंटी-रैगिंग हेल्पलाइनों से कॉल और एंटी-रैगिंग निगरानी एजेंसी के सीधे हस्तक्षेप के बावजूद, संस्थान छात्रों के अनिवार्य एंटी-रैगिंग हलफनामे और संस्थानों के अनुपालन हलफनामे प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि सभी संस्थानों के लिए रैगिंग पर यूजीसी विनियम, 2009 का अनुपालन करना अनिवार्य है। इन विनियमों का उल्लंघन छात्रों की सुरक्षा से समझौता करता है, खासकर तब जब रैगिंग को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
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यूजीसी ने कहा है कि अगर 30 दिन के भीतर नियमों का पालन नहीं किया गया तो अनुदान और वित्तीय सहायता रोक दी जाएगी। इससे शोध परियोजनाएं प्रभावित होंगी और मान्यता रद्द कर दी जाएगी या संबद्धता वापस ले ली जाएगी।
राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय, इग्नू और भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता ‘डिफॉल्टर’ सूची में शामिल अन्य प्रमुख संस्थानों में शामिल हैं।
एंटी-रैगिंग विनियम, 2009 के अनुसार प्रत्येक छात्र और उनके माता-पिता तथा अभिभावकों को प्रवेश के समय तथा प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के आरंभ में एंटी-रैगिंग शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा।
इस अवसर पर सीजेआई गवई ने छात्रों, शिक्षकों से एमएनएलयू को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कुलाधिपति के रूप में पिछले 10 वर्षों की यात्रा को याद किया और सभी के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।
Santosh Kumar