Puja Khedkar Case: पूर्व आईएएस अफसर पूजा खेडकर को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत, गिरफ्तारी 5 सितंबर तक टली

खेडकर ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कोई गलत जानकारी नहीं दी है और यूपीएससी को उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है।

यूपीएससी और दिल्ली पुलिस ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने की मांग की है। (इमेज-आधिकारिक वेबसाइट)यूपीएससी और दिल्ली पुलिस ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने की मांग की है। (इमेज-आधिकारिक वेबसाइट)

Santosh Kumar | August 29, 2024 | 04:32 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बर्खास्त आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर रोक 5 सितंबर तक बढ़ा दी है। उन पर धोखाधड़ी और गलत तरीके से ओबीसी और दिव्यांग कोटे का लाभ उठाने का आरोप है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी और पुलिस को इस बीच नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दी।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी को अपनी जांच का दायरा बढ़ाना होगा। उन्हें पता लगाना होगा कि कौन अनुमेय सीमा से परे प्रयास कर रहा है। उन्हें यह भी जांच करनी होगी कि शिकायतकर्ता पक्ष के किसी अंदरूनी व्यक्ति ने आवेदक को अवैध सहायता तो नहीं पहुंचाई है।

Background wave

अदालत ने कहा कि आरोपी से पूछताछ जरूरी है ताकि पूरी साजिश का खुलासा हो सके और अन्य दोषियों का पता चल सके। अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता यूपीएससी ने दस्तावेज पेश किए हैं जो दिखाते हैं कि साजिश पूर्वनियोजित थी और कई वर्षों से चल रही थी। अदालत ने सुझाव दिया कि यूपीएससी को अपनी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ानी चाहिए और पिछले मामलों की जांच करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

यूपीएससी और दिल्ली पुलिस ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने की मांग की है। खेडकर ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि उन्होंने न तो कोई गलत जानकारी दी है और न ही कोई धोखाधड़ी की है। उनका कहना है कि यूपीएससी को उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य ठहराने का कोई अधिकार नहीं है।

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खेडकर ने कहा कि उनका चयन विकलांगता श्रेणी में योग्यता के आधार पर हुआ है और पिछले प्रयासों को इस श्रेणी में नहीं गिना जा सकता। उन्होंने कहा कि यूपीएससी ने बायोमेट्रिक डेटा और दस्तावेजों के माध्यम से उनके नाम की पहचान की है और नाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

खेडकर ने यह भी कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेज सही हैं और सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी किए गए हैं। उधर, दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि खेडकर ने ओबीसी+नॉन-क्रीमी लेयर लाभ प्राप्त करने के लिए झूठी जानकारी दी और साजिश रची।

पुलिस ने यह भी कहा कि खेडकर ने यह दिखावा किया कि उसके माता-पिता का तलाक हो चुका है और उसने अपना नाम बदलकर झूठी जानकारी दी। बता दें कि अगस्त को अदालत ने खेडकर को उसकी अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था और उसे गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था।

पिछले महीने, यूपीएससी ने खेडकर के खिलाफ फर्जी पहचान के जरिए सिविल सेवा परीक्षा देने के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया। दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है।

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